Iravan Son of Arjun: महाभारत की कहानी में वैसे तो कई प्रमुख पात्र हैं लेकिन सबसे ज्‍यादा चर्चा जिस किरदार की होती है, वह है अर्जुन. महाराजा पांडु और महारानी कुंती के तीसरे पुत्र अर्जुन महान धर्नुधर थे. उन्‍होंने ही मछली की आंख में तीर मारकर राजा द्रुपद द्वारा रचा गया स्‍वयंवर जीता था और द्रौपदी से विवाह किया था. हालांकि माता कुंती की आज्ञा के चलते द्रौपदी पांचों पांडवों की पत्‍नी बनीं. अर्जुन ने कुछ 4 विवाह किए. उनकी पत्नियां द्रौपदी, चित्रांगदा, सुभद्रा और उलूपी थीं. इसमें अर्जुन के उलूपी से मिलन और विवाह की कहानी काफी रोचक है. साथ ही अर्जुन और उलूपी का बेटा इरावन भी अपने बलिदान के कारण बहुत मशहूर हुआ. आइए जानते हैं अर्जुन और उलूपी के विवाह की कहानी. 


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नागलोक में हुई अर्जुन-उलूपी की मुलाकात 


इंद्रप्रस्थ नगरी की स्थापना के बाद अर्जुन मैत्री अभियान पर निकले. इस दौरान वे नागलोक गए और वहीं उनकी मुलाकात नाग राजा कौरव्‍य की कन्‍या उलूपी से हुई. उलूपी अर्जुन पर मोहित हो गईं और उन्‍होंने अर्जुन के सामने विवाह का प्रस्‍ताव रखा. अर्जुन को भी उलूपी से प्रेम हो गया और उन्‍होंने उलूपी का अनुरोध स्वीकार करके उनसे विवाह कर लिया. अर्जुन एक साल तक नागलोक में उलूपी के साथ ही रहे. 


नाग लोक में ही रहा बेटा इरावन


अर्जुन और उलूपी की शादी से इरावन नाम का पुत्र पैदा हुआ. इरावन की शिक्षा-दीक्षा, युद्ध कौशल माता उलूपी ने ही कराया. इरावन अपनी माता के साथ नागलोक में ही रहे और अपने पिता अर्जुन की ही तरह बहुत कुशल धनुर्धर निकले. उन्होंने तमाम मायावी अस्त्र-शस्त्रों पर सिद्धि हासिल की. महाभारत युद्ध के समय इरावन ने अजुर्न के पुत्र होने का कर्तव्‍य निभाते हुए अपना बलिदान दे दिया. 


इरावन ने दे दी अपनी बलि 


पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत युद्ध में विजय पाने के लिए पांडवों ने एक अनुष्ठान आयोजित किया. इसमें मां काली की पूजा की गई और पूजा में एक नरबलि दी जानी थी. सभी चिंतित हो गए कि आखिर कौन अपनी बलि देगा? तब अर्जुन का यही पुत्र इरावन खुद आगे आया और बलि देने की बात कही. 


भगवान श्रीकृष्‍ण ने रचाया इरावन से विवाह 


इरावन ने बलि देने से पहले शर्त रखी कि वह विवाह रचाएंगे. एक बार फिर सभी चिंतित हो गए कि कौन राजकुमारी एक दिन के लिए विवाह रचाएगी, जिसे पता हो कि वह अगले दिन विधवा होने वाली है. तब भगवान श्रीकृष्‍ण ने इसका हल निकाला. उन्होंने 'मोहिनी' रूप रखकर इरावन से शादी की और फिर अगले दिन इरावन ने अपनी बलि दी. इसके बाद पांडवों ने महाभारत युद्ध जीता और हस्तिनापुर के सिंहासन पर राज किया. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)