Pausha Putrada Ekadashi 2024: संतान प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी पर जरूर पढ़ें ये कथा
Putrada Ekadashi Vrat Katha: पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत को विधि पूर्वक रखने से संतानहीन दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है. यहां पढ़ें पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा.
Pausha Putrada Ekadashi Vrat Katha: संतान की चाहत तो हर किसी को होती है, अब यदि यह संतान यशस्वी, मेधावी और कुशाग्र भी हो तो क्या ही कहना है. पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत को विधि पूर्वक रखने से संतानहीन दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है और जिनकी भी संतान होती है उन्हें आरोग्यता, दीर्घायु और कीर्ति मिलती है. इस बार पुत्रदा एकादशी 21 जनवरी रविवार को मनाई जाएगी.
पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
सुकेतु नाम के गृहस्थ की पत्नी का नाम शैव्या थी किंतु उनके कोई संतान नहीं थी. दोनों पति पत्नी संतान के लिए बहुत परेशान रहते थे. एक बार अत्यधिक निराश हो कर सुकेतु ने आत्महत्या करने का निर्णय ले लिया और पत्नी को घर में अकेला छोड़ कर जंगल की ओर निकल गया. जंगल में एक घने पेड़ के नीचे बैठकर वह अपने को कोसने लगा कि संसार में सबसे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण व्यक्ति है. वह एकांत में बैठा विचार कर रहा था तभी उसे किसी ऋषि के मुख से वेदमंत्रों का उच्चारण सुनाई पड़ा. इन मंत्रों को सुन कर वह उनकी ओर आकर्षित हुआ और आवाज की ओर चल पड़ा.
कुछ दूरी तक चलने के बाद उसने देखा कि बहुत से ब्राह्मण कमल के फूलों से भरे एक तालाब के तट पर बैठकर वेदों का पाठ कर रहे हैं. सुकेतु ने वहां पहुंचकर श्रद्धा पूर्वक प्रणाम किया और वेद पाठ को सुनने के लिए एक स्थान पर शांति के साथ बैठ गया. वेदपाठ पूरा होने पर जब वेदपाठियों ने उसकी ओर देखा तो सुकेतु ने पूरी बात बताई. ब्राह्मण विद्वानों ने उसकी व्यथा सुनकर पुत्रदा एकादशी का व्रत करने की विधि बतायी. सुकेतु ने आत्महत्या का इरादा त्याग दिया और घर आकर पत्नी के साथ विधि पूर्वक व्रत किया और फलस्वरूप पुत्र की प्राप्ति हुई.