Peepal Tree Religious Importance: हिंदू धर्म में पीपल का पेड़ पूज्यनीय और पवित्र माना जाता है. आपने भी अक्सर लोगों को इसकी पूजा करते हुए देखा होगा. ऐसी मान्यता है कि पीपल की पूजा कर, उसके नीचे दीया जलाने से शनि देव की नाराजगी को शांत किया जा सकता है. यही वजह है कि जब लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रकोप चलता है तो लोग पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं. पीपल के पेड़ की पूजा करने के पीछे और भी धार्मिक महत्व है, आइए जानते हैं.   


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

श्रेष्ठदेव


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ को भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है. इस पेड़ को श्रेष्ठदेव वृक्ष की पदवी मिली है. पद्म पुराण में बताया गया है कि जो लोग पीपल के पेड़ को प्रणाम कर उसकी परिक्रमा करते हैं, उनको लंबी आयु प्राप्त होती है.


स्वर्ग


ये भी मान्यता है कि जो लोग पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करते हैं, उनके इस दुनिया में किए गए सभी पाप नष्ट होते हैं और आखिरकार स्वर्ग की प्राप्ति होती है. पीपल के पेड़ में त्रिदेवों यानी कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास बताया गया है.


त्रिदेवों का वास


पीपल के पेड़ की जड़ में भगवान विष्णु, तने में भगवान शंकर और अग्रभाग में ब्रह्माजी निवास करते हैं. ऐसे मे जो लोग पीपल का पौधा लगाकर उसकी रक्षा करते हैं. इसके साथ ही पीपल के पेड़ को छूने और उसकी पूजा करने से धन, स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति होती है.


सभी तीर्थों का लाभ


पीपल के पेड़ में पितरों का वास माना गया है. इसके अलावा इसमें सभी तीर्थ समाहित होते हैं. यही कारण है कि जो लोग तीर्थ में मुंडन नहीं करा पाते, वह यह संस्कार पीपल के पेड़ के नीचे करवाते हैं. पीपल के पेड़ के नीचे यज्ञ, पूजापाठ, पुराण कथा कराना श्रेष्ठ माना गया है. लोग इसके पत्तों का वंदनवार घर के द्वार पर लगाते हैं.


शनि देव


पीपल के पेड़ का संबंध शनि देव से माना जाता है. जो लोग पीपल में शनिवार को जल चढ़ाकर उसके नीचे दीपक जलाते हैं, उनको शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के दौरान कष्ट नहीं उठाना पड़ता है. ऐसे लोगों पर शनि देव की असीम कृपा प्राप्त होती है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)