Lord Shiva के धाम `Mount Kailash` पर आज तक नहीं चढ़ पाया कोई, जानें क्या है रहस्य
तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत (Mount Kailash) को भगवान शिव (Lord Shiva) का पावन धाम माना जाता है. मान्यता है कि वहां पर भोले शंकर अपने पूरे परिवार और दूसरे देवी-देवताओं के साथ निवास करते हैं.
परिवार के साथ कैलाश पर रहते हैं भगवान शिव
मान्यता है कि कैलाश पर्वत (Mount Kailash) पर भगवान शिव (Lord Shiva) अपने परिवार के साथ रहते हैं. इसीलिए कोई भी जीवित इंसान वहां जीवित ऊपर नहीं पहुंच सकता. मरने के बाद या जिसने कभी भी कोई पाप न किया हो, केवल वही कैलाश फतह कर सकता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार कई बार असुरों और नकारात्मक शक्तियों ने कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करके इसे भगवान शिव से छीनने का प्रयास किया, फिर भी उनकी मंशा कभी पूरी नहीं हो सकी. यह बात आज भी कैलाश पर्वत पर उतनी ही लागू होती है.
चढ़ाई करने वाला हो जाता है दिशाहीन
ऐसा भी माना जाता है कि कैलाश पर्वत (Mount Kailash) पर थोड़ा सा ऊपर चढ़ते ही व्यक्ति दिशाहीन हो जाता है. बिना दिशा के चढ़ाई करना मतलब मौत को दावत देना है, इसलिए कोई भी इंसान आज तक कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाया है. यह भी मान्यता है कि जो भी इस पहाड़ पर चढ़ने की कोशिश करता है, वो आगे नहीं चढ़ पाता. उसका हृदय परिवर्तन हो जाता है और उसमें वैराग्य जागने लगता है.
पर्वत पर अलौकिक शक्तियां करती हैं काम
करीब 29 हजार फीट ऊंचे माउंट एवरेस्ट (Mount Kailash) पर चढ़ना तकनीकी रूप से आसान है. वहीं कैलाश पर्वत पर चढ़ने का कोई सीधा रास्ता नहीं है. वहां चारों ओर खड़ी चट्टानें और हिमखंड हैं. ऐसी मुश्किल चट्टानें चढ़ने में बड़े-से-बड़ा पर्वतारोही भी अपने घुटने टेक देता है. यह भी कहते हैं कि वहां पर कुछ अलौकिक शक्तियां काम करती हैं. जिससे वहां पर शरीर के बाल और नाखून 2 दिन में ही इतने बढ़ जाते हैं, जितने 2 हफ्ते में बढ़ने चाहिए. चढ़ाई करने वालों का शरीर मुरझाने लगता है और चेहरे पर बुढ़ापा नजर आने लगता है.
जो भी कैलाश पर चढ़ने निकला, मारा गया
सन 1999 में रूस के वैज्ञानिकों की टीम ने तिब्बत (Tibet) पहुंचकर एक महीने तक कैलाश पर्वत (Mount Kailash) के बारे में शोध किया. वैज्ञानिकों ने कहा कि इस पहाड़ की तिकोने आकार की चोटी प्राकृतिक नहीं, बल्कि एक पिरामिड है जो बर्फ से ढकी रहती है. यही कारण है कि माउंट कैलाश को शिव पिरामिड के नाम से भी जाना जाता है. जो भी इस पहाड़ को चढ़ने निकला, वह मारा गया या बिना चढ़े वापस लौट आया.
रूसी टीम की जान पड़ गई थी खतरे में
इस वैज्ञानिक सर्वे के करीब 8 साल बाद वर्ष 2007 में रूसी पर्वतारोही सर्गे सिस्टिकोव अपनी टीम के साथ माउंट कैलाश पर चढ़ाई के लिए निकला. कुछ दूर चढ़ने पर ही उन्हें और उनकी पूरी टीम के सिर में भयंकर दर्द होने लगा.इसके बाद उनके पैरों ने जवाब दे दिया. उनके जबड़े की मांसपेशियां खिंचने लगीं और जीभ जम गई. मुंह से आवाज़ निकलना बंद हो गई. वे समझ गए कि इस पर्वत पर चढ़ना मौत को दावत देना है. उन्होंने तुरंत टीम के साथ नीचे उतरना शुरू कर दिया. नीचे उतरने के बाद उनकी टीम को आराम मिल पाया.
तेजी से बढ़ने लगते हैं बाल और नाखून
तिब्बत पर कब्जा कर चुके चीन के इशारे पर उसके कुछ पर्वतारोहियों ने भी कैलाश (Mount Kailash) पर चढ़ाई की कोशिश की. उन चीनी पर्वतारोहियों को भी सफलता नहीं मिली और दुनियाभर से उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा. इस विरोध से हारकर चीन सरकार ने आदेश जारी कर कैलाश पर्वत पर होने वाली चढ़ाई करने से रोक लगानी पड़ी.