Ramlalla Surya Tilak: राम मंदिर ही नहीं इन अद्भुत मंदिरों में भी सूर्य देव करते हैं देवताओं का अभिषेक

Ramlalla Surya Tilak: आज पूरे देश में राम नवमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को प्रभु राम का जन्म हुआ था. इस कारण से इस तिथि पर राम जन्मोत्सव मनाया जाता है. अयोध्या के राम मंदिर के लिए साल 2024 की राम नवमी सबसे खास है. इस त्योहार पर मंदिर में खास कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.

गुरुत्व राजपूत Wed, 17 Apr 2024-12:58 pm,
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रामलला का सूर्याभिषेक

22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी. इसके बाद आज राम नवमी के अवसर पर रामलला का सूर्याभिषेक किया गया. रामलला के 5 साल के स्वरूप का सूर्य तिलक हुआ. इसके लिए कई वैज्ञानिको ने तैयारियां की थीं. आज के दिन से पहले कई बार सूर्यतिलक की टेस्टिंग की गई थी. जानकारी के लिए बता दें केवल राम मंदिर ही नहीं बल्कि देश के कई मंदिरों में सूर्या देव देवताओं का अभिषेक करते हैं. आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में.

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1. कोल्हापुर का महालक्ष्मी मंदिर

कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर किरणोत्सव के लिए जाना जाता है. पूरे साल में दो बार सूर्य की किरणें दो बार पूरी मूर्ति पर पड़ती हैं. 2 फरवरी और 11 नवंबर को सूर्य की किरणें माता की पूरी मूर्ति पर पड़ती हैं. इसके अलावा 31 जनवरी और 9 नवंबर को सूर्य की किरणें माता के चरणों और 1 फरवरी और 10 नवंबर को सूर्य की किरणें मूर्ति के मध्य भाग पर गिरती हैं. इस मंदिर में बहुत धूमधाम से किरणोत्सव मनाया जाता है. 

 

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2. मध्य प्रदेश का सूर्य मंदिर

मध्य प्रदेश के दतिया में उनाव बालाजी सूर्य मंदिर स्थित है. ये सूर्य देव का बहुत प्राचीन मंदिर माना जाता है. ये मंदिर पहाड़ियों पर स्थित है. यहां पर भी सूर्य की पहली किरणें मूर्ति पर पड़ती हैं तो गर्भग्रह में स्थित हैं. 

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3. गुजरात का सूर्य मंदिर

गुजरात के मेहसाणा से लगभग 25 किमी दूर मोढेरा गांव में सूर्य मंदिर स्थित है. मंदिर का ढांचा इस तरह तैयार किया गया है कि 21 मार्च और 21 सिंतबर को सूर्य की किरणें सीधे मूर्ति पर पड़ेंगी. जानकारी के लिए बता दें कि इस मंदिर का निर्माण 1026-27 ईस्वी में चौलुक्य वंश के भीम प्रथम के शासनकाल के दौरान हुआ था.

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4. कोणार्क का सूर्य मंदिर

कोणार्क में स्थित सूर्यदेव का मंदिर पुरी दुनिया में प्रसिद्ध है. इस मंदिर का निर्माण गंगा राजवंश के महान शासक राजा नरसिम्हदेव प्रथम द्वारा करवाया गया था. ये मंदिर इस तरह बना हुआ है कि सूर्य की किरणें पहले मंदिर के मुख्य द्वार पर पड़ती हैं फिर गर्भग्रह को प्रकाशित कर देती हैं. 

 

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