Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को क्यों अर्पित किया जाता है धतूरा? पढ़ें इसके पीछे की रोचक कथा

Mahashivratri 2024 Date: हिन्दू धर्म में महादेव को सोमवार, शिवरात्रि, सावन समर्पित होता है. इन दिनों में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विधि विधान से पूजा की जाती है. हर साल फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है. ये सबसे बड़ी शिवरात्रि मानी जाती है. इस साल महाशिवरात्रि 8 मार्च को मनाई जाएगी.

गुरुत्व राजपूत Mar 04, 2024, 14:03 PM IST
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भांग और धतूरा किया जाता है अर्पित

भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव भक्त विधि विधान से तो पूजा करते ही हैं. साथ में उनकी प्रिय चीजें जैसे बेलपत्र, आक, भांग और धतूरा भी अर्पित करते हैं. शंकर भगवान को धतूरा चढ़ाने के पीछे एक पौराणिक कथा है. आइए जानते हैं इस कथा के बारे में.

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क्यों कहा जाता है नीलकंठ?

शिव महापुराण के अनुसार इस सृष्टि को तबाह होने से बचाने के लिए भगवान शिव मे समुंद्र मंथन से निकले विष को पी लिया था. इस विष को भगवान शिव ने अपने गले से नीचें नहीं जाने दिया जिससे उनका गला नीला पड़ गया. इससे भगवान शिव को नीलकंठ कहा जाने लगा.

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अश्विनी कुमारों ने दूर की व्याकुलता

इस विष के कारण भगवान शिव व्याकुल होने लगे जिसे देखकर बाकी देवी-देवता चिंतित हो गए. कहा जाता है कि इसके बाद अश्विनी कुमारों ने शिव जी को बचाने के लिए जड़ी बुटी और जलाभिषेक की सलाह दी.

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… इसलिए अर्पित किया जाता है धतूरा

इसके बाद जब भगवान शिव को भांग और धतूरा जैसी जड़ी बूटी और निरंतर जलाभिषेक किया. तब भगवान शिव का विष कम होता गया और वह स्वस्थ हो गए. तब से ही भगवान शिव को धतूरा और भांग अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है.

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राहु के दोष होते हैं दूर

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक धतूरे का संबंध राहु से होता है. कहा जाता है कि धतूरा अर्पित करने से कालसर्प, पितृदोष समेत कई राहु के दोष दूर होते हैं. आयूर्वेद में धतूरे का इस्तेमाल जड़ी बूटी के रूप में किया जाता है.

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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