Temples In Haridwar: ये हैं Haridwar के प्रसिद्ध मंदिर, कुंभ स्नान के बाद जरूर करें इनके दर्शन
हरिद्वार (Haridwar) एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. 14 जनवरी से हरिद्वार में कुंभ (Kumbh Mela 2021) का आगाज होगा. अगर आप हरिद्वार जा रहे हैं तो इन प्रसिद्ध मंदिरों (Famous Temples in Haridwar) के दर्शन करना न भूलें. कहा जाता है कि इन मंदिरों में दर्शन मात्र से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
दक्ष महादेव मंदिर
दक्ष महादेव मंदिर (Daksha Mahadev Mandir) भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है. यह मंदिर हरिद्वार का प्राचीन धार्मिक स्थल है. इस मंदिर को दक्ष प्रजापति मंदिर भी कहते हैं. इस मंदिर में महादेव के पैरों के चिन्ह बने हुए है. इन्हें देखने के लिए दूर-दूर से श्रदालु आते हैं. दक्ष महादेव मंदिर में एक छोटा सा गड्ढा भी है. ऐसी मान्यता है कि इसी गड्ढे में देवी सती ने अपने जीवन का त्याग किया था.
यह भी पढ़ें- Kumbh Mela 2021: कुंभ वर्ष का हुआ आगाज, जानिए गंगा स्नान का महत्व और शाही स्नान की तिथियां
चंडी देवी मंदिर
हिमालय के नील पर्वत के ऊपर स्थित है चंडी देवी मंदिर (Chandi Devi Temple). इस मंदिर की मुख्य प्रतिमा की स्थापना शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में की थी. इस मंदिर का निर्माण राजा सुचात सिंह ने सन् 1929 में करवाया था. मान्यता है कि यहीं पर चंडी देवी ने चंड, मुंड का वध किया गया. इस मंदिर में दर्शन मात्र से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.
मनसा देवी मंदिर
मनसा देवी मंदिर (Mansa Devi Temple) हरिद्वार के प्राचीन मंदिरों (Famous Temples In Haridwar) में से एक है. मनसा देवी (Mansa Devi) शिवालिक की पहाड़ियों पर स्थित है. मनसा देवी की भगवान भोलेनाथ की पुत्री के रूप में पूजा की जाती है. मनसा देवी का जन्म संत कश्यप के मस्तिष्क से हुआ था. इसलिए इन्हें मनसा देवी कहते हैं.
माया देवी मंदिर
माया देवी मंदिर (Maya Devi Temple) सती के भगवान शिव (Lord Shiva) के प्रति प्रेम का गवाह है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां पर माता सती (Mata Sati) की नाभि गिरी थी. इस मंदिर के पास भैरव बाबा (Bhairav Baba) का मंदिर भी स्थित है. माना जाता है कि माता सती की पूजा करने के बाद भैरव बाबा के दर्शन करने के बाद ही पूजा पूर्ण मानी जाती है.
गौरी-शंकर महादेव मंदिर
गौरी-शंकर महादेव मंदिर (Gauri Shankar Mahadev Temple) हरिद्वार (Haridwar) के धार्मिक स्थलों में से एक है. इस मंदिर का गुणगान शिव पुराण में भी किया गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान महादेव दक्ष प्रजापति मंदिर में माता सती से विवाह के पश्चात यहां पहुंचे थे. मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में महादेव और माता सती के दर्शन मात्र से ही भक्त के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ ही उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.
बिल्केश्वर महादेव मंदिर
बिल्केश्वर महादेव मंदिर (Bilkeshwar Mahadev Temple) बिल्व पर्वत पर स्थित है. कथाओं के अनुसार, इसी जगह पर माता पार्वती ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव (Lord Shiva) को पाया था. यहां बिल्केश्वर महादेव (Bilkeshwar Mahadev) लिंग रूप में विराजमान हैं. मान्यताओं के अनुसार, यहां पर आने वाले भक्तों की भगवान शिव मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
गौरी कुंड
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब माता पार्वती (Mata Parvati) भगवान शिव (Lord Shiva) को पाने के लिए तपस्या कर रहीं थीं तो वे बेलपत्र खाकर भूख शांत करती थीं, लेकिन उनके पास पीने के लिए पानी नहीं था. तब ब्रह्माजी ने गंगा (Ganga) की धारा प्रकट की थी. जहां पर यह जल धारा गिरी, उसी को गौरी कुंड (Gauri Kund) कहा जाता है. माता पार्वती तपस्या के दौरान इसी कुंड से पानी पीया करती थीं.
भारत माता मंदिर
भारत माता मंदिर (Bharat Mata Temple) को ‘मदर इंडिया’ मंदिर (Mother India Temple) भी कहते हैं. यहां पर भारत माता (Bharat Mata) की पूजा की जाती है. इस मंदिर का निर्माण सन 1983 में स्वामी सत्यमित्रानंद ने कराया था. इस मंदिर में 8 मंजिलें हैं. हर मंजिल पर अलग-अलग देवी-देवताओं और स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियां एवं तस्वीरें हैं.