Dead Body ले जाते समय क्यों कहते है `Ram Naam Satya Hai`? धर्मराज Yudhishthir ने की थी व्याख्या
नई दिल्ली: राम नाम की महिमा अपरंपार है. कलियुग में नाम जप का विशेष महत्व है. `राम` का नाम ही ऐसा है जो जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी इंसान के साथ रहता है. इस दुनिया में कोई भी अमर नहीं है. जन्म लेने वाले को एक दिन दुनिया छोड़नी ही पड़ती है. भगवान का नाम लेने से जहां जिंदगी की मुश्किलें आसान हो जाती हैं. वहीं उम्र पूरी होने के बाद इंसान की अंतिम यात्रा के दौरान भी `राम नाम` साथ चलता है. हिंदू धर्म से जुड़े किसी व्यक्ति की अंतिम यात्रा के दौरान लोग रास्ते भर `राम नाम सत्य है` बोलते हैं. क्या आपको पता है कि, ऐसा क्यों किया जाता है? इसके पीछे कारण क्या है? आइए आपको बताते हैं.
साथ जाता है कर्मों का लेखा-जोखा
इंसान जिंदगी भर पैसे, जमीन-जायदाद, पद और प्रतिष्ठा हासिल करने के लिए दौड़ता है. अपना काम बनाने के लिए लोग छलकपट भी करते हैं, लेकिन मरने के बाद उन्हें भी सबकुछ यहीं पर छोड़ के जाना पड़ता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार इंसानों के साथ उनके कर्मों का हिसाब जाता है. इसी आधार पर उनकी मुक्ति या किसी और योनि में जन्म मिलता है.
(नोट- ये जानकारी सामान्य हिंदू मान्यताओं पर आधारित है. ज़ी न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
भवसागर से पार लगाता राम नाम
मनुष्य जहां जन्म लेता है तो उसे वहां के नियमों को मानना पड़ता है. आयु यानी उम्र पूरी होने के बाद इंसान की अंतिम यात्रा के दौरान भी भगवान का नाम यानी 'राम नाम' उसका साथ देता है. माना जाता है सबसे पहले इस बात का उल्लेख महाभारत काल में पांडवों के सबसे बड़े भाई धर्मराज युधिष्ठिर ने एक श्लोक के जरिए किया था.
'अहन्यहनि भूतानि गच्छंति यमममन्दिरम्. शेषा विभूतिमिच्छंति किमाश्चर्य मत: परम्.'
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
श्लोक का अर्थ
इस श्लोक का अर्थ ये है कि, मृतक को श्मशान ले जाते समय सभी 'राम नाम सत्य है' कहते हैं परंतु शवदाह करने के बाद घर लौटते ही सभी इस राम नाम को भूलकर फिर से माया मोह में पड़ जाते हैं. लोग मृतक के पैसे, घर इत्यादि के बंटवारे को लेकर चिंतित हो जाते हैं. प्रॉपर्टी को लेकर आपस में लड़ने लगते हैं. धर्मराज युधिष्ठिर ने ये भी कहा था कि, 'नित्य ही प्राणी मरते हैं, लेकिन अंत में परिजन उसकी संपत्ति को चाहते हैं इससे बढ़कर आश्चर्य भला क्या होगा?'
क्या है उद्देश्य?
'राम नाम सत्य है, सत्य बोलो मुक्ति है' बोलने का मतलब मृतक को सुनाना नहीं होता है बल्कि शव यात्रा में साथ में साथ में चल रहे परिजन, मित्रों और रास्ते से गुजर रहे लोगों को केवल यह समझाना होता है कि जिंदगी में और जिंदगी के बाद भी केवल राम नाम ही सत्य है बाकी सब व्यर्थ है. एक दिन सबकुछ यहीं छोड़कर जाना है. साथ में सिर्फ हमारा कर्म ही जाता है. आत्मा को गति सिर्फ और सिर्फ राम नाम से ही मिलेगी.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
मान्यताएं
किसी की मृत्यु होने पर राम का नाम लिया जाता है. इसका अर्थ होता है कि जीव को मुक्ति मिल गई है. आत्मा संसार चक्र से आजाद हो गई है. एक अर्थ ये भी कि आत्मा सब कुछ छोड़ भगवान के पास चली गई है. ये परम सत्य है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार 'राम नाम सत्य है' एक बीज अक्षर है. राम नाम जपने से बुरे कर्मों से मुक्ति मिल जाती है. कुछ लोगों का मानना है कि इसको जपने से मृतक के परिजनों को मानसिक शांति मिलती है. इस दौरान राम नाम सत्य है सुनने से उन्हें ये अहसास होता है कि यह संसार व्यर्थ है.
(फाइल फोटो)