Pitru Paksha Important Dates: इस साल पितृपक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा यानी कि 29 सितंबर से शुरूआत हो चुकी है और अश्विनी कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानी 14 अक्टूबर के दिन इनका समापन होगा. पितृपक्ष के दौरान उन्हें प्रसन्न करने के लिए पूर्वजों की पूजा की जाती है.  पितृ दोष से मुक्ति के लिए लोग इस दौरान पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण करते हैं.  इससे पूर्वज खुश हो कर अपना आशीर्वाद देते हैं.  


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वैसे तो पितृपक्ष में सभी तिथियों का ही विशेष महत्व है लेकिन इनमें से तीन तिथियां बहुत ही महत्वपूर्ण हैं.  ऐसी मान्यता है कि इन तीन तिथियों में अगर पूर्वजों का श्राद्ध या तर्पण किया जाता है तो उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. व्यक्ति को अगर पितृ दोष से छुटकारा पाना है तो उसे भाद्रपद मास की इन तीन तिथियों में अपने अपने पूर्वजों के श्राद्ध का कार्य करना होगा ताकि वह प्रसन्न हो कर उन पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें.  आइए विस्तार में भाद्रपद मास की इन विशेष तिथियों के बारे में जानें.


भाद्रपद मास की तीन महत्वपूर्ण तिथियां
 
भरणी श्राद्ध के बारे में जानें


भरणी श्राद्ध 2 अक्टूबर को आएगा.  भरणी श्राद्ध निधन के एक साल बाद ही करते हैं.  2 अक्टूबर को भरणी नक्षत्र शाम 6 बजकर 24 मिनट तक रहेगा.  अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु  उसके विवाह से पहले हो गया हो तो उनका श्राद्ध का कार्य पंचमी तिथि को करना सही माना जाता है.  


नवमी श्राद्ध के बारे में जानें


भाद्रपद में इस बार नवमी श्राद्ध 7 अक्टूबर को होगा.  नवमी श्राद्ध को नमवी के नाम से भी जाना जाता है.  नवमी श्राद्ध में तर्पण या पिंडदान करना फलदायी और शुभ माना जाता है.  इससे पूर्वज प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.


सर्वपितृ अमावस्या के बारे में जानें


भाद्रपद मास में इस बार 14 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या है.  इस दिन का भी बहुत बड़ा महत्व है.  दरअसल जिन लोगों को अपने अपने पितरों की श्राद्ध तिथि नहीं याद रहती या फिर मालूम नहीं रहती तो वह इस दिन श्राद्ध कर सकते हैं.  इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है.


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)