Prayagraj Mahakumbh New District Name: अगर कोई आपसे पूछे कि यूपी में कितने जिले हैं तो आप बताएंगे कि 75 लेकिन यह पूरा सच नहीं है. योगी सरकार ने सूबे में एक और नया जिला बना दिया है. यह जिला प्रयागराज जिले के अंदर बनाया गया है. सरकार ने इस जिले का नामकरण भी कर दिया है. क्या आप यूपी के इस नए जिले का नाम जाते हैं. शायद नहीं. कोई बात नहीं, हम इस नए जिले और इसके नाम के बारे में आपको विस्तृत जानकारी बताते हैं. 


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12 साल बाद लगने जा रहा महाकुंभ


असल में प्रयागराज में अगले साल 13 जनवरी से महाकुंभ मेला लगने जा रहा है. यह मेला 25 फरवरी को महाशिवरात्रि तक चलेगा. प्रयागराज में 12 साल बाद होने जा रहे इस महाकुंभ को दिव्य और वैभवशाली बनाने में योगी सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है. अब सीएम योगी की सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए प्रयागराज के महाकुंभ क्षेत्र को एक नया जिला घोषित किया है. इस जिले का नाम 'महाकुंभ मेला जिला' रखा गया है. यह जिला आगामी कुंभ मेले के प्रबंधन और प्रशासन को सुव्यवस्थित करने के लिए बनाया गया है, जिससे जनवरी 2025 में होने वाले भव्य महाकुंभ का आयोजन सुनिश्चित हो सके. 


प्रयागराज जिले के डीएम रवीन्द्र कुमार मांदड़ ने रविवार को इस संबंध में गजट नोटिफिकेशन जारी किया. अपने आदेश में डीएम ने कहा कि उत्तर प्रदेश शासन की धारा 2 (थ) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए वे महाकुंभ 2025 के आयोजन के लिए महाकुंभ मेला जिला घोषित करने की अधिसूचना जारी करते हैं. 


नए जिले में कौन-कौन से इलाके शामिल?


प्रयागराज जिले के डीएम रवीन्द्र कुमार मांदड़ ने गजट नोटिफिकेशन में कहा कि उत्तर प्रदेश में अब तक 75 जिले थे. नया जिला 76वां होगा. महाकुंभ मेला जिले में संपूर्ण कुंभ क्षेत्र को महाकुंभ मेला जिला घोषित किया गया है. इसे महाकुंभ मेला जनपद के नाम से जाना जाएगा. इस नए जिले में चार तहसील (सदर, सोरांव , फूलपुर और करछना) होंगी. नए जिले में 67 गांव होंगे. कुंभ मेला के मेलाधिकारी को ही डीएम यानी जिलाधिकारी की शक्तियां प्राप्त होंगी. इस नवीन जिले में मेला अधिकारी के साथ एक उप-मेला अधिकारी भी होगा, जिसे अपर कलेक्टर स्तर का अधिकारी धारण करेगा. 


कब तक रहेगा जिले का अस्तित्व?


डीएम ने कहा कि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है. इस नए जिले का गठन होने से मौजूदा जिला प्रशासन पर बोझ घट जाएगा और जिले के अन्य विकास कार्यों पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकेगा. वहीं महाकुंभ के आयोजन का सारा जिम्मा इस नए जिले में तैनात होने वाले अधिकारियों पर रहेगा, जिसे वे बेहतर तरीके से निभा सकेंगे. महाकुंभ संपन्न होने के साथ ही इस नए जिले का अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा और यह फिर से पुराने जिले में विहीन हो जाएगा.