Premanand Maharaj Ji: मशहूर कथावाचक प्रेमानंद महाराज लाखों लोगों का मार्गदर्शन करते हैं. महाराज जी वृंदावन में रहते हैं और सत्संग करते हैं. सोशल मीडिया पर इनकी वीडियोज वायरल होती रहती हैं जो लोगों को काफी पसंद आती हैं. उनसे मिलने विराट कोहली, अनुष्का शर्मा, मोहन भागवत समेत कई बड़ी हस्तियां पहुंच चुकी हैं. 


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भक्त ने पूछा ये सवाल


प्रेमानंद जी लोगों को जीवन जीने का ज्ञान देते हैं और आध्यात्म से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. अभी हाल ही में उनसे एक भक्त ने पूछा कि हनुमान जी ने राम-राम लिखा तो पत्थर तैरने लगा, जब हम लिखते हैं तो वह तैरता नहीं, ऐसा क्यों? इस पर प्रेमानंद जी ने बहुत सुंदर जवाब दिया. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा.


 


प्रेमानंद जी ने दिया सुंदर उदाहरण


प्रेमानंद जी ने कहा क्योंकि मनुष्य की भावना उस कोटि की नहीं है. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कबीरदास के एक शिष्य गंगास्नान करने जा रहे थे तभी एक व्यक्ति नदी में आत्महत्या करने जा रहा था. जब वो नजदीक गए और पूछा कि क्या हुआ तो उसने बताया कि मुझे कुष्ट रोग है, मैं जीना नहीं चाहता इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं. 


 


राम नाम की शक्ति


उन्होंने कहां कि अरे! इसकी जरूरत नहीं है, बस 3 बार राम नाम लेकर डुबकी लगाओ. पहली डुबकी में मवाद खत्म हो गया और तीसरी डुबकी लगाते ही सब ठीक हो गया. तभी कबीरदास जी आए और कहा कि कुष्ट रोग ठीक करने के लिए 1 बार राम नाम ही काफी था.


 


क्यों तैरा हनुमान जी का पत्थर?


महाराज जी कहते हैं कि जब फकीर अपनी स्थिति से राम, वाहेगुरु, कृष्ण, राधा बोलता है तो उसका प्रभाव पड़ता है क्योंकि वो लग्न से बोलता है. इसके बाद प्रेमानंद जी ने कहा कि जब भरत जी चित्रकुट में सियाराम बोलते थे, तब लटा पटा सब सिया राम बोलते थे. वहीं, जब चेतन महाप्रभु श्री कृष्ण बोलते थे तो सभी पक्षी भी श्री कृष्ण बोलते थे. हम मनुष्यों की तन्मयता, प्रीति इतनी नहीं है. इसी तरह जब हनुमान जी के अंदर राम जी के लिए काफी प्रेम, लग्न है. इस कारण से जब उन्होंने प्रीति से भरकर पत्थर पर राम नाम लिखा तो पत्थर तैरने लगा.


 


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