Puja Asan: पूजा के लिए न करें इस आसन का इस्तेमाल, दरिद्रता से होगा सामना; दुर्भाग्य नहीं छोड़ेगा पीछा
Puja ke Liye Asan: बिना आसन बिछाए उपासना कभी भी फलित नहीं होती है. आजकल मार्केट में कई तरह के आकर्षक आर्टिफिशियल आसन भी मिलने लगे हैं, पर इस तरह के आसनों का पूजा में प्रयोग करना उचित नहीं है.
Aasan for Puja: धार्मिक कार्यों, पूजन, जाप आदि के दौरान आसन का प्रयोग सदियों से चला आ रहा है. आसन का प्रयोग न केवल घर में अपितु किसी देव मंदिर में भी करना चाहिए. बिना आसन बिछाए पूजा करने से न केवल हमारी मनोकामनाएं अधूरी रहती हैं, बल्कि दुख भी प्राप्त होता है. ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है. धर्म शास्त्रों में आसन का उल्लेख विस्तारपूर्वक किया गया है.
वर्जित आसन
यह तो आप समझ ही गए हैं कि बिना आसन बिछाए उपासना कभी भी फलित नहीं होती है. आजकल मार्केट में कई तरह के आकर्षक आर्टिफिशियल आसन भी मिलने लगे हैं, पर इस तरह के आसनों का पूजा में प्रयोग करना उचित नहीं है तो वह कौन से आसन हैं जिनका प्रयोग पूजा में नहीं करना चाहिए.
- बांस के आसन पर बैठकर पूजा करने से साधक को आर्थिक तंगी और दरिद्रता की समस्या का सामना करना पड़ता है.
- घास एवम तिनके से बने आसन का प्रयोग करने से यश कीर्ति नष्ट होने के साथ ही व्यक्ति की छवि धूमिल होती है.
- पत्थर की चौकी पर बैठकर पूजा करने से रोग, दुख और दुर्भाग्य आता है, आर्थिक उन्नति में बाधा आती हैं.
- पत्तियों से बने आसन पर पूजा करने से कारोबार उन्नति नहीं करता है, चीजें आगे लंबे समय तक नहीं चलती हैं.
- लकड़ी के आसन पर बैठ कर पूजा करने से दुख व अशांति की प्राप्ति होती है.
- कपड़े को आसन बनाकर बैठने से चिंताएं एवम बाधाएं आती हैं.
नियम
जब आप आसन पर बैठकर पूजा और जाप करते हैं तब आपके अंदर आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह और सकारात्मक ऊर्जा का संचय होता है. आसन की मुख्य योग्यता है कि पैर जमीन पर टच न हों. शास्त्रों में रेशम, कंबल, काष्ठ, तामपत्र और मृग चर्म से बने हुए आसन के प्रयोग बताए गए हैं. परंतु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस तरह के आसन का प्रयोग करना संभव नहीं है. ब्रह्म पुराण में बताया गया कि कुशा के आसन का प्रयोग करने से अनंत फल की प्राप्ति होती हैं. कुशा का संबंध केतु से है. दूसरा आप कंबल का आसन बनाकर भी जाप कर सकते हैं. जब भी कोई व्यक्ति पहली बार पूजा या जाप की शुरुआत करें उसका आसन अलग होना चाहिए. दूसरे के आसन का प्रयोग करने पर दोष लगता है. सबसे पहले जल और मंत्रों द्वारा आसन को शुद्ध किया जाना चाहिए जब भी पूजा करने जाएं अपना आसन उठाकर शीश से लगाएं. पूजा करने के बाद आसन को लपेटकर यथास्थान आदर के साथ रखें. आप आसन का जितना सम्मान करेंगे आपकी उतनी इच्छाएं पूरी होगी.