Quran अरबी में ही आखिर क्यों आई? ये है किसी और भाषा में ना होने की बड़ी वजह
Prophet Muhammad: कुरान (Quran) अरबी (Arabic) भाषा में ही आई और बाकी भाषाओं में उपलब्ध कुरान उसका अनुवाद है. कुरान के अरबी भाषा में होने की खास वजह है. आइए इसके कारण के बारे में जानते हैं.
Quran In Arabic: पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) का जन्म अरब (Arab) में हुआ था, उनकी परवरिश भी वहीं पर हुई. इसी वजह से कुरान (Quran) अरबी (Arabic) भाषा में आई. कुरान अरबी भाषा में आई ताकि पैगंबर मोहम्मद उसको समझ सकें और कौम को समझा भी पाएं. कुरान की एक आयत में कहा गया है कि तहकीक के साथ कुरान सारे जहां के रब की ओर से नाजिल किया गया है. जैसे कि रूहुल अमीन ने उतारा. आपके कल्ब के ऊपर उतारा जिससे कि आप चेतावनी देने वालों में से हो जाएं. साफ अरबी जबान में.
अरबी भाषा में क्यों आई कुरान?
ऐसा कहा जाता है कि अगर कुरान अरबी के अलावा किसी और भाषा में होती तो इसका मतलब समझने में पैगंबर मुहम्मद को मुश्किल होती जो कि कुरान के विरुद्ध होता. यदि कुरान किसी और भाषा में होती तो पैगंबर मुहम्मद की भाषा दूसरी होती. ऐसे में बहुत से लोगों को कुरान की हिदायत देने में मुश्किल आती.
भाषा अरबी होने के पीछे वजह
मौलाना तारिक मसूद ने अपने एक बयान में बताया था कि दुनिया की तमाम भाषाओं में समय-समय पर बदलाव होता रहता है. लेकिन अरबी भाषा में बदलाव नहीं होता है. वह सैकड़ों साल से पहले जैसी ही है. उन्होंने उदाहरण के रूप में अंग्रेजी को लिया और कहा कि अंग्रेजी में कई शब्दों के अर्थ पहले से बदल गए हैं.
अरबी में सैकड़ों साल से नहीं हुआ बदलाव
उन्होंने आगे कहा कि इंग्लिश में कुछ शब्दों को हटाया भी गया है. अगर कोई 150 साल पहले की इंग्लिश की किताब पढ़ना चाहे तो उसे वो कम ही समझ में आएगी. ऐसा इसलिए क्योंकि भाषा में बदलाव हुआ है. पर अरबी भाषा में बदलाव नहीं हुआ. वह जैसे पहले थी वैसी आज भी है.
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