Rahu-Ketu Pujan: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी ग्रहों का अपना अलग महत्व है. ज्योतिष में राहु-केतु को क्रूर ग्रह माना गया है. ऐसी मान्यता है कि किसी भी जातक की कुंडली में राहु-केतु के मजबूत होने पर व्यक्ति को जीवन में किसी भी तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता. वहीं, अगर ये ग्रह कुंडली में नीच स्थान पर पहुंच जाए, तो व्यक्ति को बहुत भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. शनिवार के दिन राहु-केतु की पूजा का विधान है. अगर नियमित रूप से खासतौर से शनिवार के दिन राहु-केतु ग्रह कवच पाठ किया जाए, तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इस दौरान इनके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है. 


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राहु ग्रह कवच


''अस्य श्रीराहुकवचस्तोत्रमंत्रस्य चंद्रमा ऋषिः ।


अनुष्टुप छन्दः । रां बीजं । नमः शक्तिः ।


स्वाहा कीलकम् । राहुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ॥


प्रणमामि सदा राहुं शूर्पाकारं किरीटिन् ॥


सैन्हिकेयं करालास्यं लोकानाम भयप्रदम् ॥


निलांबरः शिरः पातु ललाटं लोकवन्दितः ।


चक्षुषी पातु मे राहुः श्रोत्रे त्वर्धशरीरवान् ॥


नासिकां मे धूम्रवर्णः शूलपाणिर्मुखं मम ।


जिव्हां मे सिंहिकासूनुः कंठं मे कठिनांघ्रीकः ॥


भुजङ्गेशो भुजौ पातु निलमाल्याम्बरः करौ ।


पातु वक्षःस्थलं मंत्री पातु कुक्षिं विधुंतुदः ॥


कटिं मे विकटः पातु ऊरु मे सुरपूजितः ।


स्वर्भानुर्जानुनी पातु जंघे मे पातु जाड्यहा ॥


गुल्फ़ौ ग्रहपतिः पातु पादौ मे भीषणाकृतिः ।


सर्वाणि अंगानि मे पातु निलश्चंदनभूषण: ॥


राहोरिदं कवचमृद्धिदवस्तुदं यो ।


भक्ता पठत्यनुदिनं नियतः शुचिः सन् ।


प्राप्नोति कीर्तिमतुलां श्रियमृद्धिमायु


रारोग्यमात्मविजयं च हि तत्प्रसादात्'' ॥


॥ केतु ग्रह कवच ॥


''अस्य श्रीकेतुकवचस्तोत्रमंत्रस्य त्र्यंबक ऋषिः ।


अनुष्टप् छन्दः । केतुर्देवता । कं बीजं । नमः शक्तिः ।


केतुरिति कीलकम् I केतुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ॥


केतु करालवदनं चित्रवर्णं किरीटिनम् ।


प्रणमामि सदा केतुं ध्वजाकारं ग्रहेश्वरम् ॥


चित्रवर्णः शिरः पातु भालं धूम्रसमद्युतिः ।


पातु नेत्रे पिंगलाक्षः श्रुती मे रक्तलोचनः ॥


घ्राणं पातु सुवर्णाभश्चिबुकं सिंहिकासुतः ।


पातु कंठं च मे केतुः स्कंधौ पातु ग्रहाधिपः ॥


हस्तौ पातु श्रेष्ठः कुक्षिं पातु महाग्रहः ।


सिंहासनः कटिं पातु मध्यं पातु महासुरः ॥


ऊरुं पातु महाशीर्षो जानुनी मेSतिकोपनः ।


पातु पादौ च मे क्रूरः सर्वाङ्गं नरपिंगलः ॥


य इदं कवचं दिव्यं सर्वरोगविनाशनम् ।


सर्वशत्रुविनाशं च धारणाद्विजयि भवेत्'' ॥ 


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)