Raksha Bandhan 2022: जानते हैं पहली बार रक्षा सूत्र किसने किसको बांधा था? रिश्ते में नहीं थे भाई-बहन!
Raksha Bandhan 2022 date: रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत करने का पर्व है लेकिन पहली बार रक्षा सूत्र भाई-बहन नहीं बल्कि पति-पत्नी के बीच बांधा गया था. जानिए रक्षाबंधन से जुड़ी ये रोचक पौराणिक कहानी क्या है.
Raksha Bandhan Mythological Story: साल 2022 में रक्षाबंधन का पर्व 11 अगस्त और 12 अगस्त को मनाया जा रहा है. रक्षाबंधन को बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधती है. राखी को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है. भले ही यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है लेकिन पहली बार रक्षा सूत्र बहन ने भाई को नहीं बल्कि पत्नी ने अपने पति को बांधा था. इस बारे में हिंदू धर्म-पुराणों में रोचक कहानी मिलती है.
इंद्र को उसकी पत्नी ने बांधा था पहली बार रक्षा सूत्र
पौराणिक कथाओं के अनुसार पहली बार रक्षा सूत्र इंद्र को उसकी पत्नी शचि ने बांधा था. दरअसल, एक बार देवताओं और दानवों के बीच भयंकर युद्ध हो रहा था. दानव, देवताओं पर भारी पड़ रहे थे और डरकर देवताओं की सेना भागने लगी. देवताओं के प्राण संकट में आ गए, तब इंद्र की पत्नी शचि देवगुरु बृहस्पति के पास गई और उनसे मदद मांगी. तब देवगुरु ने कहा, मैं मंत्रों अभिमंत्रित करके एक रक्षा सूत्र तैयार कर देता हूं, उसे तुम श्रावणी पूर्णिमा के दिन देवराज इंद्र की कलाई में बांध देना. यह रक्षा सूत्र न केवल उनकी रक्षा करेगा बल्कि युद्ध में विजय भी दिलाएगा. इसके बाद शचि ने ऐसा ही किया और देवता युद्ध में जीत गए. इस तरह पहला रक्षा सूत्र पत्नी ने पति को बांधा था.
द्रौपदी ने बांधा था श्रीकृष्ण को अपने वस्त्र का टुकड़ा
रक्षाबंधन की एक और ऐसी ही कथा प्रचलित है जो पांडवों की पत्नी द्रौपदी और भगवान कृष्ण से जुड़ी है. इस कथा के मुताबिक जब पांडवों ने राजसूय यज्ञ में अग्रपूजा के लिए भगवान श्रीकृष्ण को चुना तो राजा शिशुपाल क्रोधित हो गया. वह भगवान श्रीकृष्ण को अपशब्द कहने लगा. उसकी मां को भगवान श्रीकृष्ण ने वचन दिया था कि वे शिशुपाल की 100 गलतियां माफ कर देंगे लेकिन यह 101 वीं गलती थी. लिहाजा श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध कर दिया. इस दौरान भगवान कृष्ण को भी उंगली में चोट लग गई, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर भगवान श्रीकृष्ण की उंगली पर बांधा था. तभी से भगवान ने द्रौपदी को अपनी बहन माना और जब हस्तिनापुर की राजसभा में द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था, तो उसकी रक्षा भी की थी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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