Hanuman Birth Place in Karnataka: हिंदू शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म कर्नाटक के किष्किंधा में एक पर्वत पर हुआ था.  साथ ही इस पर्वत की एक शिला दूर से देखने पर उनके चेहरे जैसी आकृति बनाती है. यहां आने वाला हर एक व्यक्ति इसे चमत्कार ही समझता है.  आपको बता दें कि इस पर्वत पर ऊपर चढ़ने पर एक मंदिर है. जहां हनुमानजी का जन्म बताया जाता है. यहां हमेशा अखंड कीर्तन चलता रहता है, ये पूरा इलाका बहुत सुंदर है. साथ ही इसी इलाके में भगवान राम ने भी सीताहरण के बाद कुछ समय गुजारा था.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सबसे पहले रामायण में हुई किष्किंधा की चर्चा


किष्किंधा की चर्चा काफी विस्तार से बाल्मीकी रामायण में की गई है. जब श्रीराम सीताजी की तलाश में इस इलाके में पहुंचे तो बरसात की ऋतु का आगमन चुकी था, और उनके पास रूकने का कोई स्थान नहीं था, तब जाकर उन्होंने दंडकारण्य में ही उन्होंने एक गुफा में शरण ली थी. 


सुग्रीव और बाली की नगरी


फिर भगवान राम और लक्ष्मण कुछ महीने एक मंदिर में रुके. यहीं उनकी मुलाकात दंडकारण्य में हनुमान से हुई. प्राचीन भारत में ये सुग्रीव और बाली जैसे ताकतवर वानरों की नगरी थी. आज भी यहां बड़ी संख्या में वानर दिखते हैं. यहां आपको दोनों तरह के वानर लालमुंहे और काले मुंह वाले देखने को मिलेंगे.


कैसा अंजनी पर्वत


अंजनी पर्वत एक बहुत ही ऊंचा पहाड़ है. यही हनुमान जी की जन्मस्थली मानी गई है. पहाड़ के ऊपर हनुमान जी का एक मंदिर है, जहां अखंड पूजन-कीर्तन चलता रहता है. यहां लगातार हनुमान चालीसा पढ़ी जाती है. 


500 से ज्यादा सीढ़ियां


मंदिर के दर्शन के लिए 500 से अधिक सीढियां चढनी होती हैं. ये आसान तो कतई नहीं. सीढियां चढने के दौरान आप पाते हैं कि कई जगहों पर ये सीढियां पहाड़ियों को काटकर बनाई गई हैं तो कई जगह ये पहाड़ की गुफाओं के बीच से गुजरती हैं. सीढियों के साथ ऊपर चढ़ने के दौरान कई बार ऐसी चट्टानें भी मिलती हैं. 


ब्रह्म सरोवर की खासियत


अंजनि पर्वत के दर्शन के बाद अगर कहीं जाना हो तो पहाड़ियों से घिरे ब्रह्म सरोवर पर जा सकते हैं. जो इसके पास में ही स्थित है. इसे पंपा सरोवर भी कहते हैं. कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने ब्रंह्माड में केवल चार सरोवर बनाए, ये उनमें से एक है. मान्यता है कि यहां नहाने से आप पापों से मुक्ति के साथ ही सीधे मोक्ष पाएंगे. इस सरोवर में पानी कहां से आता है, ये भी आश्चर्य ही है. इसमें हमेशा कमल खिले हुए मिलते हैं.


शबरी कुटिया भी पास ही है


इसी सरोवर से सटी शबरी कुटिया है, जहां भगवान राम और लक्ष्मण को शबरी ने बेर खिलाए थे. शबरी और राम के प्रसंग को हम सबने खूब सुना है. शबरी कुटिया से सटा देवी लक्ष्मी का मंदिर है.


अब भी है वो गुफा, जिसमें रहता था बाली


बाली जिस गुफा में रहता था, वो गुफा भी आकर्षण का केंद्र होती है. ये अंधेरी लेकिन काफी लंबी चौड़ी गुफा है. जहां एक साथ कई लोग अंदर जा सकते हैं. इसी गुफा से ललकार कर राम ने बाली को निकाला. जब उनके हाथों बाली की मृत्यु हो गई तो सुग्रीव को राजपाट सौंपा.


अपनी फ्री कुंडली पाने के लिए यहां क्लिक करें


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)