Ram Katha: जामवंत जी ने युवराज अंगद को दूत बनाकर लंका भेजने का दिया सुझाव
Ramayan Story: सुबेल पर्वत पर एक रात विश्राम के बाद दूसरे दिन श्रीराम ने सभी प्रमुख लोगों की बैठक बुलाकर वर्तमान परिस्थितियों में सुझाव मांगा. जामवंत जी ने युवराज अंगद को दूत बनाकर लंका में रावण के पास भेजने का सुझाव दिया.
Ramayan Story in Hindi: सुबेल पर्वत पर प्रातः जागने के बाद प्रभु श्रीराम ने सभी प्रमुख लोगों को बुलाकर मंत्रणा करते हुए कहा कि आप सभी लोग सुझाव दीजिए कि अब क्या किया जाए. जामवंत जी ने प्रभु के चरणों में सिर नवाते हुए कहा कि हे सर्वज्ञ, सबके हृदय में बसने वाले अंतर्यामी, हे बुद्धि, बल, तेज, धर्म और गुणों की राशि सुनिए. मैं अपनी बुद्धि के अनुसार सलाह देता हूं कि बालिकुमार अंगद को दूत बनाकर रावण के पास भेजा जाए.
श्रीराम ने अंगद से पूछा, क्या दूत बनकर लंका जाओगे
जामवंत जी की बात वहां उपस्थित सभी लोगों को जंच गई और सभी ने सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि यही ठीक रहेगा. अंगद बलवान और बुद्धिमान हैं. तब श्रीराम ने अंगद को संबोधित करते हुए पूछा कि हे बल, बुद्धि और गुणों के धाम बालिकुमार, क्या तुम मेरे काम के लिए लंका जाओगे. तुम्हें कुछ समझाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम बहुत चतुर हो. शत्रु से वही बातचीत करना, जिससे हमारा काम हो और उसका भी कल्याण हो.
श्रीराम का दूत बनकर अंगद हृदय से प्रसन्न हुए
श्री रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसी दास जी लिखते हैं कि प्रभु श्रीराम की वाणी को आदेश मानकर उनके चरणों की वंदना करते हुए अंगद अपने स्थान से उठे और बोले. हे भगवान श्री राम, आप जिस पर कृपा करें, वही गुणों का समुद्र हो जाता है. स्वामी के सब कार्य अपने आप सिद्ध हैं, यह तो मुझे अपने कार्य से लंका भेजकर प्रभु ने मुझे आदर दिया है. ऐसा विचार कर युवराज अंगद का हृदय पुलकित हो गया. चरणों की वंदना करके और भगवान की प्रभुता को हृदय में धरकर सबको सिर नवा कर अंगद चल पड़े.
अंगद ने लंका पहुंचते ही रावण के एक पुत्र को उठाकर पटक दिया
लंका में प्रवेश करते ही अंगद की भेंट रावण के पुत्र से हो गई. वह वहां पर खेल रहा था. बातों ही बातों में दोनों में झगड़ा हो गया, क्योंकि दोनों ही युवा और अतुलनीय बलवान थे. रावण के पुत्र ने अंगद पर लात उठाई तो अंगद ने वही पैर पकड़ कर हवा में नचाते हुए जमीन पर पटक दिया. रावण के पुत्र के साथ चलने वाला राक्षसों का समूह इस दृश्य को देखकर डर गया और सब इधर-उधर भाग खड़े हुए. रावण के पुत्र का वध समझकर सब चुप मार कर रह गए. पूरी लंका में इस बात का कोलाहल मच गया कि जिस वानर ने लंका जलाई थी, वही वानर फिर से आ गया है
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