Ram Navami 2023: राम नवमी पर रामचरितमानस की इन चौपाइयों के जाप से पूरी होंगी सभी कामना
Ram Navami Upay: शास्त्रों में रामचरितमानस के महत्व के बारे में बताया गया है. कहते हैं कि रामचरितमानस का पाठ करने से जन्म जन्मांतरों के पापों से मुक्ति मिल जाती है. व्यक्ति के सभी प्रकार के भय, रोगों से छुटकारा मिलता है.
Ramcharitmanas Chaupai: शास्त्रों में हर तिथि का अपना महत्व होता है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी का पर्व मनाया जाता है. कहते हैं कि इस दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था. इस बार राम नवमी का पर्व 30 मार्च के दिन मनाया जाएगा. बता दें कि इससे पहले नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. 22 मार्च से नवरात्रि पर्व की शुरुआत हुई थी. 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की पूजा की जाती है. इसके आखिरी दिन रामनवमी पर व्रत का समापन किया जाता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राम नवमी के दिन रामचरितमानस पाठ करना और उसकी चौपाइयों का जाप करना शुभ माना गया है. कहते हैं कि इस दिन रामचरितमानस का पाठ करने से सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. पूरी रामचरितमानस का पाठ करना एक व्यक्ति के लिए एक ही दिन में कर पाना अगर संभव न हो तो कुछ खास चौपाइयों का जाप किया जा सकता है. मान्यताएं हैं कि रामनवमी के दिन रामचरित मानस का पाठ करने से अनेक कामनाएं पूरी होती हैं. जानें किन इच्छाओं की पूर्ति के लिए किस चौपाई का पाठ करना चाहिए.
संतान प्राप्ति के लिए
जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं।
सुख संपत्ति नानाविधि पावहिं।।
मनोकामना पूर्ति के लिए
'कवन सो काज कठिन जग माही।
जो नहीं होइ तात तुम पाहीं।।
आजीविका प्राप्ति के लिए
बिस्व भरन पोषन कर जोई।
ताकर नाम भरत असहोई।।
शत्रुओं के नाश के लिए
बयरू न कर काहू सन कोई।
रामप्रताप विषमता खोई।।
भय से मुक्ति के लिए
रामकथा सुन्दर कर तारी।
संशय बिहग उड़व निहारी।।
भगवान श्री राम की शरण के लिए
सुनि प्रभु वचन हरष हनुमाना।
सरनागत बच्छल भगवाना।।
विपत्ति के नाश के लिए
राजीव नयन धरें धनु सायक।
भगत बिपति भंजन सुखदायक।।
रोग और उपद्रवों की शांति के लिए
दैहिक दैविक भौतिक तापा।
राम राज नहिं काहुहिं ब्यापा।।
नाथ दैव कर कवन भरोसा। सोषिअ सिंधु करिअ मन रोसा॥
कादर मन कहुँ एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।
जे न मित्र दुख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥
निज दुख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दुख रज मेरु समाना॥
अपि च स्वर्णमयी लंका, लक्ष्मण मे न रोचते।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।
बोले बिहसि महेस तब ग्यानी मूढ़ न कोइ।
जेहि जस रघुपति करहिं जब सो तस तेहि छन होइ।
मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला। तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला॥
काम बात कफ लोभ अपारा। क्रोध पित्त नित छाती जारा॥
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)