इकलौता गांव जहां नहीं होती हनुमान जी की पूजा, द्रोणागिरि पर्वत से है खास कनेक्शन
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इकलौता गांव जहां नहीं होती हनुमान जी की पूजा, द्रोणागिरि पर्वत से है खास कनेक्शन

हिंदू धर्म में हनुमान जी को आराध्य देवता के रूप में पूजा जाता है, लेकिन उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित द्रोणागिरि गांव ऐसा स्थान है जहां हनुमान जी की पूजा नहीं होती.

इकलौता गांव जहां नहीं होती हनुमान जी की पूजा, द्रोणागिरि पर्वत से है खास कनेक्शन

Where Hanuman Ji is Not Worshipped: हिंदू धर्म में हनुमान जी को आराध्य देवता के रूप में पूजा जाता है, लेकिन उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित द्रोणागिरि गांव ऐसा स्थान है जहां हनुमान जी की पूजा नहीं होती. इस संबंध में स्थानीय लोगों का कहना है कि हनुमान जी संजीवनी बूटी की खोज में इस गांव पहुंचे और वहां स्थित द्रोणागिरी पर्वत का एक बड़ा हिस्सा उखाड़ कर ले गए. कहा जाता है कि यह पर्वत स्थानीय लोगों के लिए पूजनीय है. आइए, एक ऐसी जगह के बारे में जानते हैं, जहां हनुमान जी की पूजा नहीं होती.

क्यों नहीं होती है हनुमान जी की पूजा?

उत्तराखंड के द्रोणागिरी नामक गांव के निवासियों का कहना है कि हनुमान जी ने उनके आराध्य पर्वत का अपमान किया था. कहा जाता है कि जिस महिला ने हनुमान जी को उस पर्वत के बार में बताया था, उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया था. यही कारण है कि यहां न तो हनुमान जी की पूजा होती है और न ही गांव में किसी भी घर में लाल झंडा लगाने की अनुमति है.

वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस में अलग-अलग दृष्टिकोण

हनुमान जी द्वारा संजीवनी पर्वत उठाने की घटना को लेकर वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस में अलग-अलग उल्लेख मिलते हैं. वाल्मीकि रामायण के अनुसार, मेघनाद के ब्रह्मास्त्र से घायल श्रीराम और लक्ष्मण को बचाने के लिए हनुमान जी हिमालय गए और औषधियों वाला पूरा पर्वत उठाकर ले आए. बाद में वे पर्वत को वापस उसी स्थान पर रख आए.

तुलसीदास के रामचरितमानस के अनुसार, हनुमान जी लक्ष्मण के इलाज के लिए औषधि लाने निकले. जब औषधि पहचान नहीं सके तो पूरा पर्वत उठाकर लंका ले गए और उसे वापस नहीं रखा. 

महिलाओं के हाथ का प्रसाद नहीं खाते लोग

आज भी द्रोणागिरि गांव के निवासी अपने आराध्य पर्वत की विशेष पूजा करते हैं. पूजन में महिलाएं भी भाग तो लेती हैं, लेकिन उनके हाथ का दिया हुआ प्रसाद नहीं खाया जाता. कहा जाता है कि यह परंपरा उस वृद्ध महिला की याद में है जिसने पर्वत खोजने में हनुमान जी की सहायता की थी.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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