Ramayan Story: मेघनाद की बातों से रावण में भर गया था युद्ध का जोश, राम के डर से कर रह था विलाप
Ramayan Story: राम के साथ युद्ध करते हुए रावण एक बार विचलित हो उठा. जिसके बाद वह अपनी व्यथा सुनाने के लिए नाना के पास पहुंचा. इस दौरान वहं पहले से मौजूद मेघनाद ने कुछ ऐसा कहा कि हारे हुए अवस्था में पहुंचने वाला रावण जोश से भर गया था.
Ramayan Story: रामायण काल में राम और रावण के बीच युद्ध के बारे में तो सब जानते हैं. लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब रावण को एहसास होने लगा था कि अब वह युद्ध हार रहा है. इस बात की चर्चा उसने नाना माल्यवाण जी से की थी. उसी दौरान वहां इंद्रजीत मेघनाद भी मौजूद था. जब रावण ने अपने नाना से असुर जाति की विनाश की बात कर रहा था तभी उसकी बात को बीच में काटते हुए मेघनाद ने रावण का मनोबल बढ़ा दिया था.
विचलति हो गया रावण
दरअसल, रावण के पराक्रमी योद्धा एक-एक करके युद्ध भूमि में मारे जा रहे थे. पहले तो रावण विचलित नहीं हो रहा था लेकिन जब कई योद्धा मार गिराए गए तब रावण विचलित हो उठा. जिसके बाद उसने अपनी व्यथा सुनाने और सलाह-मश्विरा करने के लिए नाना माल्यवाण जी के पास पहुंचा.
माल्यवाण जी और रावण वार्तालाप
रामानंद सागर कृत रामायण के मुताबिक नाना माल्यवाण जी से रावण ने विचलित होते हुए कहा कि नाना जी आज पहली बार हमें यह आभास हो रहा है कि अब असुर जाति का अस्तित्व ज्यादा दिनों तक नहीं है. असुर जाति की पराक्रम की शौर्य गाथा हमने पृथ्वी, आकाश, पाताल के साथ दशों दिशाओं दसों दिशाओं में जमाई थी. नाना जी अब उसके अंत का समय मुझे दिखने लगा है. मुझे ऐसा लग रहा है कि असुर जाति का अस्तित्व अनिश्चित हो गया है.
मेघनाद ने बढ़ाया हौंसला
तभी मौके पर मौजूद इंद्रजीत के नाम से मशहूर रावण के बड़े बेटे मेघनाद ने अपने पिता का हौंसला बढ़ाया. मेघनाद ने पिता रावण की बात को बीच में काटते हुए कहा कि नहीं पिता जी. ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता है. मेघनाद ने कहा कि जब इंद्र का वज्र, विष्णु का सुदर्शन चक्र और शंकर का त्रिशूल असुरों के अस्तित्व को नहीं मिटा सके तो बेचारे राम के वाण क्या कर लेंगे.
ऐसा क्या कहा मेघनाद ने
मेघनाद पिता को विचलित होता देख युद्ध में हुए नुकसान को लेकर कहा कि युद्ध में तोला मासा, लाभ हानि तो होते रहता है. परंतु उससे राष्ट्र की गतिविधि तो नहीं रुक जाती है. महाराज रावण, एक पर्वत टूट जाने से पृथ्वी पर प्रलय नहीं आ जाती. मेघनाद के मुंह से ऐसी बात सुनकर रावण एक बार फिर जोश से भर गया और राम के साथ युद्ध की तैयारी में जुट गया.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)