Vibhishan And Hanuman Ji Gossip: लंका पहुंचने के बाद विभीषण जी से मिलने के लिए हनुमान जी ने ब्राह्मण का वेश धारण किया और उनके द्वार पर पहुंच कर आवाज लगाई तो विभीषण जी उन्हें सम्मानपूर्वक अंदर ले गए और आसन देकर आने का कारण पूछते हुए कहा कि आप हरि भक्तों में से कोई हैं अथवा आप दीनों से प्रेम करने वाले स्वयं श्री राम जी हैं जो मुझ जैसे को दर्शन देकर कृतार्थ करने आए हैं. तब हनुमान जी ने उन्हें विस्तार से पूरी बात बताई तो दोनों ही लोग श्री राम के प्रेम और आनंद में मग्न हो गए. विभीषण जी ने कहा कि हे पवनपुत्र मैं यहां पर वैसे ही रहता हूं जैसे दांतों के बीच में जीभ रहती है, मैं तो यही सोचता था कि क्या मुझे अनाथ जानकर कभी सूर्यकुल के नाथ श्री रामचंद्र जी कभी मुझपर कृपा करेंगे.      


हनुमान जी बोले, मेरा नाम लेने वालों को भोजन नहीं मिलता


विभीषण जी ने हनुमान जी से कहा कि राक्षस होने के कारण उनके शरीर से तो कुछ बनता नहीं है और न ही मन में श्री राम चंद्र जी के चरण कमलों के प्रति प्रेम ही है, फिर भी मुझे विश्वास हो गया है कि श्री राम की मुझ पर कृपा है तभी तो उन्होंने स्वयं आपको मेरे पास भेजा है क्योंकि बिना हरि की कृपा के संत नहीं मिलते हैं. तब हनुमान जी बोले, विभीषण जी सुनिए प्रभु की यही रीति है कि वे सेवक पर सदा ही प्रेम किया करते हैं. उन्होंने आगे कहा, मैं कौन बड़ा कुलीन हूं, मैं तो वानर जाति का हूं और सब प्रकार से नीच हूं प्रातः काल जो कोई हम लोगों का नाम ले लेता है उसे दिन भर भोजन नहीं मिलता है. हनुमान जी बोले, मैं ऐसा अधम हूं फिर भी श्री रामचंद्र जी ने मुझ पर कृपा की है. इस तरह दोनों ही लोग प्रभु श्री राम के गुणों का स्मरण करने लगे तो उनकी आंखों से प्रेम के आंसू टपकने लगे.


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श्री रघुनाथ जी को भुलाने वाला दुखी ही रहता है


दोनों लोगों ने श्री रघुनाथ जी की चर्चा करते हुए कहा कि जो लोग जानते हुए भी ऐसे स्वामी को भुलाकर विषयों में भटकते फिरते हैं, वे दुखी तो रहेंगे ही. श्री राम जी के गुणों का वर्णन करते हुए दोनों ने कहा कि उन्होंने उनका स्मरण कर परम शांति प्राप्त की है.


 


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हनुमान जी ने जाना जानकी जी तक पहुंचने का रास्ता


दशरथ नंदन श्री राम के गुणों की विस्तृत चर्चा करने के बाद हनुमान जी ने जानकी जी के बारे में जानकारी की तो विभीषण जी ने विस्तार से बताया कि जानकी माता तो अशोक वाटिका में हैं और उन्होंने यह भी बताया कि वहां पर कितना सख्त पहरा है जहां पर किसी को भी जाने की इजाजत नहीं है. उनकी सुरक्षा के लिए बहुत ही डरावनी राक्षसियां तैनात की गई हैं जिनसे बच कर अंदर पहुंच पाना बहुत ही मुश्किल काम है. हनुमान जी ने कहा कि वे जानकी माता के दर्शन करना चाहते हैं. इस पर विभीषण जी ने उनके दर्शन करने का उपाय बताया. सारी जानकारी करने के बाद हनुमान जी ने वहां से विदा ली.


 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)