Ramayan Story of Sita ji in Ashok Vatika in Lanka: लंका पहुंच कर वहां की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के बाद जब हनुमान जी ने अंदर प्रवेश किया तो अलग प्रकार से बने विभीषण जी का महल देखा. फिर हनुमान जी ब्राह्मण का वेश रखकर उनसे मिलने पहुंचे. प्रभु श्री राम के प्रति अपना विश्वास और आस्था व्यक्त करने के बाद विभीषण जी ने हनुमान जी को उस स्थान पर जाने का रास्ता बताया जहां पर सीता जी को रावण ने रखा था. 


पूरी रात बैठे-बैठे काट देती थीं माता सीता 


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अशोक वाटिका में पहुंच कर जैसे ही हनुमान जी ने सीता माता को देखा तो उन्हें मन ही मन प्रणाम किया. उन्होंने देखा कि माता सीता पेड़ के तने से सट कर बैठी हुई हैं और इसी तरह रात्रि के चारों प्रहर बीत जाते हैं. माता सीता का शरीर दुबला हो गया और सिर पर एक लट है और वे हृदय में लगातार श्री राम के गुणों का जाप कर रही हैं. जानकी जी अपनी आंखें नीचे अपने पैरों की तरफ किए देख रही हैं और मन श्री राम में लीन हैं.


जानकी जी की दशा देख कर दुखी हो गए हनुमान जी


अशोक वाटिका में दुर्बल शरीर वाली जानकी माता की दशा को देख कर हनुमान जी भी दुखी हो गए. वह उस पेड़ के पत्तों के बीच छिप गए जिसके नीचे सीता जी बैठी हुई श्री रघुनाथ का स्मरण कर रही थीं. वह विचार कर रहे थे कि कैसे माता सीता के सामने आएं और अपना परिचय दें तथा क्या करें जिससे उनका दुख कुछ कम हो जाए. 


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हनुमान जी विचार कर ही रहे थे, तभी बहुत सी महिलाओं के साथ सज-धज कर रावण वहां पर पहुंच गया. उसने साम, दान, भय और भेद दिखाकर बहुत तरीके से सीता माता को समझाने का प्रयास किया कि यदि वह उसकी पत्नी बनना स्वीकार कर लें वह मंदोदरी आदि तमाम रानियों को उनकी दासी बना देगा. रावण ने दबाव बनाते हुए कहा कि एक बार उसके मुख मंडल की ओर देख तो लो.


सीता जी ने रावण को जुगनू और रघुनाथ जी को बताया 'सूर्य' 


सीता माता ने जमीन पर पड़े एक तिनके को उठा कर उसकी ओट लेते हुए कहा कि उनका कोई कुछ नहीं कर सकता है. कमलिनी का पुष्प कभी भी जुगनू की रोशनी में नहीं खिल सकता है, उसके लिए तो सूर्य का प्रकाश ही चाहिए. श्री राम तो सूर्य के प्रकाश के समान हैं और तू जुगनू. उन्होंने रावण को दुष्ट संबोधित करते हुए कहा कि तुझे श्री राम के बाणों का प्रभाव नहीं पता है, तू मुझे एकांत में हर लाया था और तुझे लाज भी नहीं आई. 


रावण ने गुस्से में म्यान से तलवार निकाल ली


मंदोदरी सहित तमाम रानियों के सामने सीता जी द्वारा अपनी उपमा जुगनू और श्री राम को सूर्य बताए जाने से रावण तिलमिला गया और उसने म्यान से तलवार निकाल कर गुस्से में कहा, सीता तुमने मेरा अपमान किया है, अभी भी मौका है और मेरी बात मान लो नहीं तो मैं अभी इस तलवार से तुम्हें काट डालूंगा और तुम्हें अपने जीवन से हाथ धोना पड़ेगा.