Shri Ram Coronation Scene: माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ प्रभु श्री राम के अयोध्या लौटने गुरु वशिष्ठ ने ब्राह्मणों से पूछ कर श्री राम के राज्याभिषेक की तैयारियां शुरु करा दीं. राजतिलक से संबंधित सारी आवश्यक सामग्री मंगाने के साथ ही रथ, घोड़े, और हाथी सजा दिए गए. पूरी अवधपुरी सज गई और देवता पुष्पों की वर्षा करने लगे. श्री राम सहित तीनों भाइयों ने स्नान किया तरह तरह के वस्त्र आभूषण आदि पहन कर तैयार हो गए. सूर्य के समान चमकते राज सिंहासन पर श्री रघुनाथ जी के सीता माता के साथ बैठते ही ब्राह्मणों ने वेद मंत्रों का पाठ शुरु किया और सबसे पहले गुरु वशिष्ठ ने आगे बढ़ कर उनका तिलक किया फिर माताओं ने आरती उतारी.


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आकाश से बजने लगे नगाड़े, नाचने लगीं अप्सराएं 


राजमहल और आसपास उपस्थित  याचकों को दान में अन्न, वस्त्र, स्वर्ण आभूषण आदि सामग्री देकर इतना मालामाल कर दिया गया की उनको किसी के भी सामने याचना करने की जरूरत ही नहीं रही. त्रिभुवन के स्वामी श्री रामचंद्र जी को अयोध्या के राज सिंहासन पर बैठा देख कर देवता आकाश से नगाड़े बजाने लगे. गंधर्व और किन्नर गाने लगे तो अप्सराओं के समूह के समूह नाचने लगे. भरत , लक्ष्मण, शत्रुघ्न जी के अलावा विभीषण, अंगद, हनुमान जी और सुग्रीव जी आदि छत्र, चंवर, पंखा, धनुष, तलवार, ढ़ाल आदि लेकर उनके सिंहासन से लग  कर खड़े हो गए. सभी देवता वहां पर उपस्थित हुए एक एक कर श्री राम की स्तुति करते हुए अपने अपने लोकों को चले गए. इसके बाद भाटों का रूप धारण कर चारो वेद वहां पहुंचे लेकिन केवल प्रभु श्री राम ही उन्हें पहचान सके और उन्हें यथोचित सम्मान दिया.


वेदों ने किया गुणगान, माता सीता का किया सम्मान


वेदों ने कहा, हे सगुण और निर्गुण रूप, आपकी जय हो. आपने रावण और अन्य प्रचंड,प्रबल तथा दुष्ट निशाचरों को अपनी भुजाओं के बल पर मार डाला. आपने मनुष्य अवतार लेकर संसार के भार को नष्ट करके कठोर दुखों का अंत कर दिया है. हे शरणागत की रक्षा करने वाले मैं शक्ति स्वरूपा जानकी जी सहित आपको नमस्कार करता हूं. जिन्होंने मिथ्या ज्ञान के अभिमान में मतवाले होकर जन्म मृत्यु की भक्ति को हरने वाली आपकी भक्ति का आदर नहीं किया, उन्हें देव दुर्लभ ब्रह्मा जी का पद पाकर भी हम पद से नीचे गिरते देखते हैं. उन्होंने कहा जो लोग सब आशाओं को छोड़कर आप पर विश्वास करके आपके दास हो कर रहते हैं, वे बिना परिश्रम के भवसागर पार कर तर जाते हैं.


वेद शास्त्रों ने श्री राम की लीला का वर्णन किया


वेद शास्त्रों ने प्रभु श्री राम द्वारा रची गई लीला का वर्णन करते हुए कहा कि जिन चरणों की पूजा शिव जी और ब्रह्मा जी करते है तथा जिन चरणों की धूल का स्पर्श कर शिला बनीं गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या तर गईं, जिन चरणों के नख से मुनियों द्वारा वंदित त्रैलोक्य को पवित्र करने वाली देव नदी गंगा निकलीं और जिनके चरणों में ध्वजा, वज्र, अंकुश और कमल हैं तथा वन में फिरते समय जिनमें कांटे चुभ गए, उन्हीं चरण कमलों को हम नित्य भजते हैं. 


 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 


 


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