Ram Ravana Mahasangram: रावण के दरबार में दूत के रूप में श्रीराम की धाक जमाने के बाद लौटे बाली पुत्र अंगद से प्रभु ने पूछा कि यह तो बताओ तुमने रावण के चार मुकुट किस तरह फेंके. इस पर अंगद ने बहुत ही विद्वता पूर्ण उत्तर देते हुए कहा कि वह चार मुकुट नहीं, बल्कि राजा के चार गुण हैं. धर्म नीति के अनुसार साम, दाम, दंड और भेद राजा के हृदय में बसते हैं, किंतु रावण में धर्म का अभाव है, ऐसा जानकर वह चारों गुण स्वतः ही आपके पास आ गए. इसके बाद अंगद ने वहां का पूरा वृतांत सुनाया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

श्रीराम ने प्रमुखों को बुलाकर बनाई युद्ध की रणनीति 


शत्रु के सारे समाचार जानकर श्री रघुनाथ जी ने सभी मंत्रियों को अपने पास बुलाया और कहा कि लंका में चार बड़े दरवाजे हैं, उन पर किस तरह आक्रमण करना है, अब इस बिंदु पर ही विचार करना चाहिए. इस पर वानरराज सुग्रीव, ऋक्षपति जामवंत और विभीषण ने अपने हृदय में रघुकुल भूषण प्रभु श्री रामचंद्र जी का स्मरण करते हुए अपने अपने कर्तव्य का निश्चय कर वानरों और रीछों के चार दल बनाए और उनके सेनापति तैनात किए. फिर चारों सेनापति को बुलाकर रणनीति बताने के साथ ही उनका कर्तव्य भी बताया. सारी बातें सुनने के बाद सभी वानर और भालू शेर की तरह गर्जना करते हुए दौड़ पड़े. उन्होंने पर्वतों के बड़े-बड़े शिलाखंड उखाड़कर श्रीराम चंद्र की जय, श्री लक्ष्मण जी की जय, वानर राज सुग्रीव की जय तथा ऋक्षपति  जामवंत जी की जय का घोष करते हुए लंका की ओर फेंकने लगे. बादलों की घटनाओं की तरह उन्होंने लंका को चारों तरफ से घेर लिया.


वानरों ने राक्षसों को पैर से पकड़कर जमीन पर पटक दिया


भालू और वानरों का हमला सुनकर रावण ने राक्षसों की विशाल सेना को बुलाकर आदेश दिया कि तुम लोग चारों दिशाओं में फैल जाओ और जहां भी वानर और भालू दिखें, उन्हें अपना भोजन बनाकर खा लो. राक्षस लंका के बाउंड्री के परकोटे पर चढ़कर शस्त्रों और पत्थरों से जवाब देने लगे. दोनों तरफ से भयंकर युद्ध छिड़ गया. कोई रावण तो कोई श्रीराम की जयकार करने लगा. वानर भी राक्षसों के पैर पकड़कर, उन्हें जमीन पर पटक रहे थे. अपने साथियों को मरता देख राक्षस मन ही मन रावण को गाली देने लगे कि पूरी सेना और राक्षस जाति को मौत के मुंह में धकेल दिया है. रावण की सेना में हाहाकार मच गया.


अपनी निःशुल्क कुंडली पाने के लिए यहाँ तुरंत क्लिक करें