Sambhal Mata Kaila Devi: संभल इन दिनों विवादों के केंद्र में है. शाही जामा मस्जिद को लेकर इन दिनों संभल की राजनीति गरमा गई है. लेकिन आज हम इन दिनों उत्तर प्रदेश के सबसे चर्चित जिला संभल के एक ऐतिहासिक मंदिर के बारे में बताते हैं. यह मंदिर इतहास की कई यादों को अपने अंदर समेटे हुए है. इस मंदिर में कैला देवी की मूर्ति है.


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मंदिर का इतिहास है पुराना


कैला देवी मंदिर का इतिहास बहुत ही पुराना है. देश में माता कैला देवी के दो मंदिर हैं. एक मंदिर राजस्थान में है तो दूसरा मंदिर उत्तर प्रदेश के संभल के भंगा इलाके में है. मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान यहां सिंह देवता के दर्शन होते हैं. माता कैला देवी को यदुवंशियों का कुलदेवी कहा जाता है.


सोमवार के दिन करें माता का दर्शन


सोमवार के दिन अगर कोई भी भक्त मां कैला देवी का दर्शन करता है तो उसकी मनोकामनाएं पूरी होती है. इस दिन माता के दर्शन का विशेष महत्व होता है. संभल के भंगा इलाके में स्थित मंदिर परिसर में बरगद का एक विशाल और पौराणिक पेड़ है. माना जाता है कि यह पेड़ सात सौ साल पुराना है.


स्कंद पुराण में है माता का उल्लेख


पौराणिक मान्यता है कि स्कंद पुराण के 65वें अध्याय में माता कैलादेवी का विशेष वर्णन है. इस अध्याय में दावा किया गया है कि देवी घोषणा करती हैं कि कलयुग में उन्हें भक्त ‘कैला’ देवी या ‘कैलेश्वरी’ के नाम से पूजा करेंगे. कैलादेवी वही माता हैं जिन्होंने नंद और यशोदा के घर जन्म लिया और उनकी जगह भगवान कृष्ण ने ले ली थी.


कंस के मौत की भविष्यवाणी


इसके बाद जब कंस उन्हें मारने के लिए उठाया तो उन्होंने अपना दिव्य रूप दिखाते हुए कंस के हाथों से निकलकर बताया था कि तुम्हारा नाश करने वाला बालक इस पृथ्वी पर जन्म ले चुका है. इसी भविष्यवाणी के बाद कंस ने अपने राज्य में जन्में सभी बच्चों का बध कर दिया था.  माता कैला देवी को लेकर मान्यता है कि जो भी व्यक्ति मां का दर्शन करता है उसकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)