Sankashti Chaturthi 2024: हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकट चतुर्थी या कृष्ण चतुर्थी मान कर गणेश जी की व्रत पूजा करने का विधान है. फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को फाल्गुनी चतुर्थी भी कहा जाता है. कुछ क्षेत्रों में इसे संकट हर चतुर्थी भी कहा जाता है. इस बार यह व्रत 28 फरवरी दिन बुधवार को है. 


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इस तरह से किया जाता है व्रत


चतुर्थी के दिन सूर्योदय के पहले जागने के बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए. सायंकाल पुनः स्नान करने के बाद लाल वस्त्र धारण कर मौसम के फूलों को एकत्र करने के बाद गंध और पुष्प आदि से गणेश जी का पूजन करना चाहिए. चंद्रमा का उदय होने के बाद चंद्रमा का भी पूजन कर दर्शन करें और उन्हें अर्ध्य देकर भोग लगा कर आशीर्वाद प्राप्त करें. इसके बाद ही व्रत को तोड़ कर स्वयं भी भोजन करें. ऐसा करने से व्रती को सुख सौभाग्य और सम्पत्ति की प्राप्ति होती है. 



यह है फाल्गुनी चतुर्थी की कथा


सतयुग के समय राजा युवनाश्व के राज्य में सभी शास्त्रों और वेदों के ज्ञाता ब्रह्म शर्मा नाम के विद्वान ब्राह्मण देवता निवास करते थे. उनके सात पुत्र थे और सातों पुत्रों का विवाह हो चुका था इस तरह उनके घर में सात पुत्र वधुएं भी थीं. ब्रह्मशर्मा की वृद्धावस्था आने पर वह अपने सारे कार्य करने में असमर्थ रहने लगे क्योंकि उनकी शरीर दुर्बल हो चुका था. ऐसे में वह अपनी बहुओं से अपने निजी कार्यों में सहयोग लेते थे.


जिनमें सबसे छोटी बहु बड़े ही सम्मान और आदर करते हुए उनकी सबसे अधिक और आगे बढ़ कर सेवा करती थी. जबकि अन्य बहुएं न करने का बहाना ढूंढती थी. वृद्ध ब्राह्मण छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न हुए और उन्होंने उससे फाल्गुनी चतुर्थी का व्रत कराया जिसके प्रभाव से बहू को हर तरह के सुख प्राप्त हुए और जीवन भर वह उसका उपभोग करती रही. 


 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)