Ekadashi Mata Aarti: सनातन धर्म में सभी व्रतों में एकादशी का व्रत बेहद खास है. इस दिन व्रत रखने, पूजा-पाठ और उपाय आदि करने से भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है. कहते हैं कि एकादशी का व्रत दशमी तिथि से शुरू होता है और द्वादशी के दिन व्रत का पारण किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं, एकादशी कथा की तरह इस दिन एकादशी माता की आरती करने का भी विशेष महत्व बताया गया है. 


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ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि आज के दिन जो व्यक्ति कविधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करता है, उसे जीवन में सभी खुशियां नसीब होती हैं. और भगवान की कृपा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आज 19 दिसंबर को सफला एकादशी का व्रत रखा जा रहा है. आज के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को सभी कार्यों में सफलता मिलती है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन व्रत रखने के साथ कथा और एकादशी माता की आरती करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है. 


एकादशी माता की आरती 
 


ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)