Saturday Tips: क्या आप जानते हैं शनिवार के दिन शनि देव को क्यों चढ़ाते हैं सरसों का तेल? वजह जानकर रह जाएंगे हैरान
Shaniwar Ke Upay: शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन सूर्यास्त के बाद उन्हें सरसों का तेल अर्पित किया जाता है. इससे प्रसन्न होकर वे भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है आखिर शनिदेव को सरसों का तेल क्यों अर्पित किया जाता है? आइए जानें इसके पीछे ही कहानी.
Saturday Remedies: सनातन धर्म के अनुसार शनि देव को कष्ट देने और कष्ट हरने वाला कहा जाता है. व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों का फल शनि देव देते हैं. उन्हें न्याय के देवता और कर्म फलदाता के नाम से जाना गया है. बता दें कि कुंडली में शनि की अच्छी और मजबूत स्थिति व्यक्ति को जीवन में सभी सुख-सुविधाएं प्रदान करता है. वहीं, शनि के कमजोर होने पर व्यक्ति को बहुत स परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं, शनि के रुष्ट होने पर व्यक्ति को सड़क पर आने में भी समय नहीं लगता. ऐसे में शास्त्रों में कहा गया है कि शनि की कृपा पाने के लिए व्यक्ति को विधिपूर्वक शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करनी चाहिए. सूर्यास्त के बाद उन्हें सरसों का तेल अर्पित किया जाता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिवार के दिन उन्हें दोषों से मुक्ति पाने और कुंडली में शनि की स्थिति को मजबूत करने के लिए शनिवार का दिन बेहद खास बताया गया है. शनिवार के दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें विधिपूर्वक सरसों का तेल अर्पित किया जाता है. लेकिन कभी आपने सोचा है कि शनिवार के दिन शनि देव को सरसों का तेल ही क्यों अर्पित किया जाता है? चलिए जानते हैं इसके पीछे ही पौराणिक कथा के बारे में.
साढ़ेसाती और ढैय्या से मिलती है मुक्ति
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि किसी व्यक्ति पर साढ़ेसाती या फिर ढैय्या है तो उसे शनिवार के दिन शनि मंदिर में जाकर भगवान को सरसों तेल अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति को शुभता की प्राप्ति होती है. शनि देव प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं.
तेल चढ़ाने के पीछे ये है असली कारण
पौराणिक कथा में बताया गया है कि क्यों शनि देव को सरसों का ही तेल शनिवार के दिन चढ़ाया जाता है. दरअसल हनुमान जी भगवान राम जी के कहने पर जब माता सीता को खोजने के लिए रावण की लंका पहुंचे तो वहां पर रावण की कैद में शनि देवता भी दिखें. इसके बाद शनि देव ने हनुमान जी से उन्हें मुक्त कराने की बात कही. हनुमान जी ने शनि महाराज को कैद में से निकाल कर लंका के पार ऐसा फेंका कि उन्हें कई चोटें आ गई. ऐसे में उन्हें राहत देने के लिए बजरंगबली ने शनि देवता के घावों पर सरसों का तेल लगाया, जिसके बाद उन्हें काफी आराम मिला. तब शनि देव ने बजरंगबली को संकटहर्ता की उपाधि दी और कहा कि जो भी भक्त मुझे भविष्य में सरसों का तेल चढ़ाएगा उस पर मेरी हमेशा कृपा बनी रहेगी. इसी के बाद से ही शनि देवता पर सरसों तेल चढ़ाया जाने लगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)