Secret of 84 Lakh Yonis: क्या आत्मा को वाकई 84 लाख योनियों से गुजरना पड़ता है? पद्म पुराण में उजागर किया गया है ये गूढ़ रहस्य
Ved Vaani: पद्म पुराण में कुल 84 लाख योनियों के बारे में बताया गया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये योनियां कौन सी हैं और किसी आत्मा को इनमें कैसे जन्म मिलता है.
Secret of 84 Lakh Yonis in Padma Purana: सनातन धर्म के अनेक ग्रंथों में 84 लाख योनियों के बारे में बताया गया है. कहा जाता है 84 लाख योनियां पार कर लेने के बाद अच्छे कर्मों के आधार पर किसी को मनुष्य का जन्म मिलता है. लेकिन ये 84 लाख योनियां वाकई में क्या हैं. इसके बारे में शायद ही कोई जानता हो. पद्म पुराण (Padma Purana) में इन 84 लाख योनियों के बारे में विस्तार से बताया गया है. आइए इस बारे में जानते हैं.
ऐसे समझें 84 लाख योनियों का चक्र
पद्म पुराण (Padma Purana) के मुताबिक 84 लाख योनियों (Secret of 84 Lakh Yonis) का अर्थ सृष्टि में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु हैं. इन जीवों को 2 हिस्सों, योजिन और आयोजित के रूप में बांटा गया है. साथ ही प्राणियों को 3 भागों में थलचर, नभचर और जलचर के रूप में अलग से भी वर्गीकरण किया गया है. पुराण में बताया गया है कि पानी के जीव यानी जलचर 9 लाख, पेड़-पौधे 20 लाख, कीड़े-मकोड़े 11 लाख, पक्षी 10 लाख, पशु 30 लाख और देवता-दैत्य-मानव की 4 लाख यानी योनियां हैं. ये सब मिलाकर कुल 84 लाख योनियां बनती हैं.
अंत में मिलती है मानव की योनि
यानी कि जन्म के बाद किसी भी जीव को बारी-बारी से एक खास योनी में जन्म लेकर चक्र पूरा करना पड़ता है. उस जन्म के निर्धारित चक्र पूरे होने के बाद उसे दूसरी योनि में भेज दिया जाता है. वहां पर उसे निर्धारित अवधि के मुताबिक बार-बार जन्म लेकर चक्र पूरा करना पड़ता है. अंत में वह कर्मों के आधार पर देवता, दैत्य या मनुष्य के रूप में जन्म लेती है. इस योनि में आने के बाद आत्मा 4 लाख बार इसी योनि में जन्म लेती रहती है.
पद्म पुराण में किया गया है वर्णन
पद्म पुराण (Padma Purana) में कहा गया है कि जब कोई आत्मा निर्धारित 84 लाख योनियां (Secret of 84 Lakh Yonis) पूरी कर लेती है और उसके कर्म भी अच्छे होते हैं तो उसे पितृ या देव योनि प्राप्त होती है. इसके साथ ही वह जन्म-जन्मांतर से मुक्त होकर बैकुंठ धाम चली जाती है. जबकि नीच कर्म करने वाली आत्मा को फिर से 84 लाख योनियों में जन्म लेने के लिए नीचे भेज दिया जाता है. वेद-पुराणों में इसे दुर्गति कहा गया है, यानी कि किसी आत्मा के फिर से जन्म-मृत्यु के चक्र में फंसने का फेर, जिसे एक आदर्श स्थिति नहीं मानी जाती.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)