Shattila Ekadashi 2023 Upay : माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन तिल का विशेष महत्व है और स्नान  से लेकर पकवान तक में तिल का ही प्रयोग किया जाता है. 18 जनवरी बुधवार को पड़ने वाली षटतिला एकादशी के दिन काले तिल और श्यामा गाय के दान का विशेष महत्व होता है.
 
माना जाता है कि शरीर में तिल के तेल की मालिश करने के बाद तिल से ही स्नान करने का विधान है. स्नान के बाद भगवान विष्णु का ध्यान और विधि विधान से पूजन करना चाहिए और तिल से बने हुए पकवान ही खाने चाहिए. इस दिन तिल युक्त सामग्री से हवन करने के साथ ही रात्रि में जागरण करते हुए विष्णु भगवान का भजन कीर्तन पूरे परिवार के साथ करना चाहिए.  मान्यता है कि विधि पूर्वक व्रत करने वाले को रोगों तथा अन्य परेशानियों से मुक्ति मिलने के साथ ही सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है. पौराणिक कथाओं में भी इस व्रत का वर्णन किया गया है. 


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निर्धन लकड़हारा हो गया संपन्न


पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में किसी राज्य में बहुत ही निर्धन लकड़हारा रहता था. एक दिन वह नगर सेठ के यहां लकड़ी पहुंचाने गया तो उनके यहां किसी उत्सव की तैयारी देखी जिसमें काफी मेहमान भी आए हुए थे. उसने कौतुहलवश पूछ लिया सेठ जी, यह किस तरह की पूजा का आयोजन हो रहा है. इस पर सेठ जी बहुत ही प्रसन्न हुए और विस्तार पूर्वक बताते हुए बोले, यह भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए षटतिला एकादशी व्रत की तैयारी हो रही है.इस व्रत को करने से जीवन के पाप नष्ट होते हैं तथा सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलने के साथ ही धन संपदा की प्राप्ति होती है.
 इतना सुन कर लकड़हारा बहुत ही खुश हुआ और घर आकर उसने भी सेठ के बताए अनुसार व्रत किया. भगवान विष्णु की कृपा उसे भी प्राप्त हुई और परिणाम स्वरूप वह शीघ्र ही धनवान हो गया और सम्मान पूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा.  


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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