Shiv ji ke gale me naag ka naam: भगवान शिव के गणों में नाग भी शामिल हैं. बल्कि नाग देवता को तो महादेव ने अपने गले में स्‍थान दिया है. भगवान शिव अपने गले में वासुकी नाग को धारण किए रहते हैं. इतना ही नहीं कभी भी शिवलिंग की स्‍थापना अकेले नहीं की जाती है. बल्कि शिवलिंग के साथ नाग देवता जरूर विराजित किए जाते हैं. शिव जी की पूजा तभी पूरी मानी जाती है जब साथ में नागदेवता और नंदी की पूजा की जाए. नागपंचमी के दिन नाग देवता और भगवान शिव की पूजा करना सुख-सौभाग्‍य बढ़ाता है. इस साल 21 अगस्‍त 2023, सोमवार को नागपंचमी मनाई जाएगी. यह दिन कालसर्प दोष से निजात पाने के लिए भी खास होता है. साथ ही राहु-केतु दोष दूर करने के लिए भी नागपंचमी के दिन उपाय कर लेना सारे कष्‍ट दूर कर देता है. 


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शिव के गले का हार क्‍यों बना वासुकी नाग? 


हिंदू धर्म में अष्‍ट नागों का उल्‍लेख है. यानी कि 8 नाग देवता माने गए हैं. शिव जी के गले में रहने वाले नागराज वासुकी नाग हैं. शिवजी द्वारा वासुकी नाग को गले में धारण करने के पीछे एक कथा है. जब समुद्र मंथन हो रहा था तो वासुकि नाग को ही रस्सी के रूप में मेरू पर्वत के चारों ओर लपेटकर मंथन किया गया था. इस कारण वासुकी नाग का पूरा शरीर लहूलुहान हो गया था. 


साथ ही जब समुद्र मंथन से हलाहल विष निकला था तो भगवान शिव ने इसे ग्रहण किया था. इस समय वासुकी नाग ने भी भगवान शिव की मदद के लिए कुछ विष ग्रहण किया था. हालांकि जहरीले नाग को ये विष ग्रहण करने से कोई असर नहीं हुआ. लेकिन नाग की भक्ति देखकर शिव बेहद प्रसन्‍न हुए और तब से ही भगवान शिव ने प्रसन्‍न होकर अपने गले में वासुकी नाग को धारण कर लिया. 


दुर्जनों पर भी कृपा करते हैं भगवान 


भोलेनाथ द्वारा गले में सर्प जैसे विषैले और भयानक जीव को धारण करना इस बात का भी प्रतीक है कि यदि दुर्जन लोग भी अच्‍छे काम करें तो भगवान उन पर कृपा करते हैं. लिहाजा व्‍यक्ति को हमेशा अच्‍छे कर्म करना चाहिए भले ही उसका मूल स्‍वभाव कैसा भी क्‍यों ना हो. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)