Pradosh Vrat 2022: आज प्रदोष काल में इस विधि से कर लें शिव जी की आराधना, मिलेंगे अनगिनत लाभ, हर मोनकामना होंगी पूरी
Som Pradosh Vrat 2022: हिंदू धर्म में भगवान शिव को सबसे दयालु और कृपालु माना जाता है. उन्हें प्रसन्न करने के लिए नियमित रूप से शिव चालीसा का पाठ करने से महादेव की कृपा बरसती है. आइए जानते हैं शिव चालीसा पढ़ने की सही विधि.
Shiv Chalisa Vidhi: भगवान शिव की कृपा पाने के लिए सोमवार का दिन बेहद खास है. शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान शिव को प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि बेहद प्रिय है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि के व्रत और पूजा-पाठ आदि करने महादेव जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. आज 5 दिसंबर सोमवार के दिन प्रदोष व्रत होने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है.
भगवान शिव को धतूरा, बेलपत्र, शमी, मदार के फूल, दूध आदि बेहद प्रिय है. शास्त्रों के अनुसार सच्ची श्रद्धा से भोलेनाथ की उपासना करने से उनकी विशेष कृपा बरसती है. साथ ही, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए नियमित रूप से शिव चालीसा का पाठ करना विशेष लाभदायी रहता है. लेकिन, अगर इसे सही विधि से किया जाए, तो ही इसके शुभ फलों की प्राप्ति होती है. ज्योतिष शास्त्र में शिव चालीसा का पाठ करने के कुछ नियमों के बारे में बताया गया है. आइए जानें शिव चालीसा करने की सही विधि.
शिव चालीसा के पाठ के नियम
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शिव चालीसा का पाठ हमेशा स्नान के बाद ही विधिपूर्वक करें. इसके लिए सुबह जल्दी उठें. स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनें और पूर्व दिशा की ओर मुख कर के बैठ जाएं. भगवान शिव की मूर्ति की स्थापना करें. घी का दीपक जलाएं. शिव जी की मूर्ति के सामने एक तांबे के लोटे में जल में गंगाजल मिलाकर रख दें. इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करें और श्री गणेश के श्लोक का जाप करते हुए शिव चालीसा पढ़ा शुरू कर दें.
शिव चालीसा का पाठ
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान॥
चौपाई
जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये।मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी।बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा।तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी।देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ।लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा।सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई।अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई।नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन।मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।शारद नारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय।सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई।ता पर होत है शम्भु सहाई॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई।निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही,पाठ करो चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश॥
मगसिर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान।
स्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण॥
इस समय करें शिव चालीसा का जाप
आज सोमवार के दिन सोम प्रदोष व्रत होने के कारण शिव चालीसा के पाठ का और महत्व बढ़ गया है. प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में की गई पूजा का विशेष फल मिलता है. शास्त्रों में कहा गया है कि प्रदोष काल में भगवान शिव बेहद प्रसन्न होते हैं और इस समय की गई पूजा का फल व्यक्ति को जल्द मिलता है. इसलिए सोम प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव के चालीसा का पाठ करें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)