नई दिल्ली: बंगाल में इन दिनों चुनावी माहौल है और इस बीच राजनेता जनता के साथ ही मंदिरों में जाकर देवी देवताओं का भी आशीर्वाद लेते नजर आ रहे हैं. ऐसा ही एक प्रसिद्ध मंदिर है कोलकाता का दक्षिणेश्वर काली मंदिर (Dakshineswar Kali Temple). यह मंदिर बंगाल ही नहीं बल्कि देशभर के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है. कोलकाता की हुगली नदी के तट पर स्थित यह काली मंदिर देशभर में मौजूद माता के 51 शक्तिपीठों में से एक है. मान्यता है कि यहां पूजा करने वालों को मां काली कभी निराश नहीं करतीं. मां अपने भक्तों की मुराद जरूर पूरी करती हैं.


51 शक्तिपीठों में से एक है दक्षिणेश्वर काली मंदिर


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देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों (51 Shaktipeeth) का वर्णन मिलता है. शास्त्रों की मानें तो जहां-जहां देवी सती के अंग के टुकड़े, उनके वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ का उदय हुआ. इस तरह देशभर में माता के 51 शक्तिपीठ माने जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि जब विष्णु भगवान (Lord Vishnu) ने अपने चक्र से मां सती के शरीर के टुकड़े किए थे तो उनके दाएं पैर की कुछ उंगलियां इसी जगह पर गिरी थीं. काली मां (Goddess Kali) के भक्तों के लिए यह दुनिया के सबसे बड़े और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है.


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मंदिर के निर्माण की कहानी


जब हमारे देश में अंग्रेजों का शासन था, उस दौरान इस मंदिर का निर्माण साल 1855 में जान बाजार की रानी रासमणि ने करवाया था. कहते हैं कि मां काली ने सपने में रानी को दर्शन दिए और मंदिर का निर्माण करवाने की बात कही. साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि रामकृष्ण मिशन के संस्थापक और स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekanand) के गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस (Ramkrishna Paramhans) को मां काली ने यहीं पर दर्शन दिए थे जिसके बाद से यह जगह परमहंस की कर्मभूमि बन गई.     


(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)


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