Surya Arghya: सूर्य देव को अर्घ्य देते समय न करें ये गलतियां, जानें क्या है सही तरीका
Surya Arghya: सूर्य को रोज सुबह उठ कर जल देने से जीवन में यश कीर्ति की प्राप्ति होती है. सूर्य को अर्घ्य देने के कुछ नियम हैं जिनका पालन करना आवश्यक है. आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में.
Surya Arghya Vidhi: सूर्यदेव सभी ग्रहों के राजा हैं इसके साथ ही वह प्रत्यक्ष रूप से दिखने वाले देव भी हैं. सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए और कुंडली में सूर्य की स्थिति को मजबूत करने के लिए ज्योतिष्यों द्वारा कई उपाय बताए गए हैं. इन उपायों में सबसे सरल और सटीक उपायसूर्य भगवान को जल का अर्घ्य देना ह. सूर्य देव को जल का अर्घ्य देने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और साथ में व्यक्ति को आत्मबल की प्राप्ति होती है. सूर्य को जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता, आत्मा, स्वास्थ्य और लीडरशिप के लिए जाना जाता है. सूर्य को रोज सुबह उठ कर जल देने से जीवन में यश कीर्ति की प्राप्ति होती है. सूर्य को अर्घ्य देने के कुछ नियम हैं जिनका पालन करना आवश्यक है. आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में
1. अर्घ्य देते समय व्यक्ति को गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए. अर्घ्य देने के बाद अपने ही स्थान पर खड़े-खड़े 3 या 7 बार परिक्रमा करनी चाहिए.
2. सूर्य उदय होने से 2 घंटे तक ही जल देना लाभदायक साबित होता है, इसके लिए जो व्यक्ति सूर्य को रोज जल देने का संकल्प लेता है उसे नियमपूर्वक घड़ी या मोबाइल में अलार्म लगा लेना चाहिए ताकि जागने में किसी तरह की देर न हो.
3. सभी जानते हैं कि सूर्य पूर्व की दिशा से उदय होते हैं और पश्चिम की ओर अस्त होते हैं इसलिए हमेशा पूर्व की ओर मुख करके ही अर्घ्य देना चाहिए.
4. अर्घ्य देने के लिए तांबे या कांसे के साफ लोटे का प्रयोग करना शुभ माना जाता है, ऐसा नहीं कि जो लोटा किचन में इस्तेमाल करते हैं उसे बिना साफ किए ही जल से भर कर अर्घ्य देने चले जाएं.
5.अर्घ्य देते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि लोटे को दोनों हाथों की अंजलि बना कर अंजलि के माध्यम से अर्घ्य दें.
सही स्थान का चयन भी है जरूरी
अर्घ्य देने में स्थान का भी बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है. जलाशय, नदी के आसपास अर्घ्य देना सबसे अच्छा माना जाता है. साफ-सुथरी जगह पर खड़े होकर उस स्थान से अर्घ्य देना चाहिए जहां से सूर्यदेव दिखाई दें और आप वहां पर खड़े होकर आसानी से सूर्य पूजन कर सकें. जहां पर जल गिरे वहां लोगों के कदम नहीं पड़ने चाहिए.