नई दिल्ली: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की दशा न सिर्फ उसकी सेहत, संपत्ति और सुख-समृद्धि पर असर डालती है बल्कि उसे राजा से रंक बनाने में भी अहम रोल अदा करती है. 


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यदि किसी जातक की कुंडली के प्रथम भाव में सूर्यदेव विराजमान हों तो वह जातक चुस्त—दुरुस्त और थोड़ा अभिमानी होता है, जबकि दूसरे भाव में बैठा सूर्य व्यक्ति को सम्मान, प्रतिष्ठा तो दिलाता है लेकिन उसे पैतृक संपत्ति बामुश्किल ही प्राप्त होती है. तीसरे भाव का सूर्य जातक को शासन करने वाला बनाता है, जबकि चौथे भाव का सूर्य पिता की आर्थिक स्थिति को खराब करते हुए परिवार में असंतोष पैदा करता है.


पांचवे भाव में सूर्य अपनी राशि के अनुसार फल देता है. छठे भाव में सूर्य व्यक्ति को साहसी बनाता है और सातवें भाव का सूर्य जीवनसाथी के साथ बेहतर तालमेल बनाता है. आठवें भाव का सूर्य सच्चाई पर चलने वाला तो वहीं नवम भाव का सूर्य जीवन में उच्च पद दिलाता है. दसवें भाव का सूर्य व्यक्ति को जीवन में सफल बनाग्ता है तो वहीं ग्यारहवें भाव का सूर्य सरकारी नौकरी दिलाता है. इसी तरह बारहवें भाव में बैठा सूर्य व्यक्ति को झगड़ालू बनाता है.


इन सभी के अलावा यदि आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर स्थिति में हो और आप उसके चलते तमाम तरह के कष्ट उठा रहे हों तो आपको नीचे दिए गए ज्योतिषीय उपाय जरूर करने चाहिए. इन सनातनी उपायों को पूरी श्रद्धा भाव के साथ करने पर निश्चित रूप से आपकी परेशानियां दूर होंगी और आपका जीवन को सूर्य की भांति चमकने लगेगा:-


— प्रतिदिन प्रात:काल उगते हुए सूर्य को "ॐ घृणि सूर्याय नम:" मंत्र जपते हुए जल में रोली मिला कर अर्घ्य दें.


— सूर्य को जल देने के बाद लाल आसन पर बैठकर प्रतिदिन पूर्व दिशा की ओर मुख करके आदित्य हृदय स्रोत का पाठ करें.


— यदि आपकी कुंडली में सूर्य नीच का हो तो न तो सूर्य संबंधी चीजों को किसी से लें और न ही किसी को दें.


— किसी ज्योतिषी से सलाह लेकर कम से कम 5 से 7 रत्ती का माणिक्य तांबे की अंगूठी में बनवाकर रविवार के दिन धारण करें.


— सूर्य की कृपा पाने के लिए अपने पिता एवं माता की विशेष रूप से सेवा करें. भूलकर भी उन्हें किसी प्रकार का कष्ट न होने दें. 


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