क्या मंगलवार को हनुमान जी की पूजा के समय आप भी करते हैं ये छोटी-सी गलती? पड़ता है बड़ा असर, जानें
Mangalwar Remedies: हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है. मंगलवार का दिन हनुमान जी की पूजा का विधान है. लेकिन क्या आप जानते हैं, पूजा के बाद ये काम न करने से पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता.
Hanuman Ji Ki Aarti: हिंदू पंचांग के अनुसार आज 29 अगस्त के दिन मंगलवार का दिन है. मंगलवार का दिन हनुमान जी की पूजा को समर्पित है. कहते हैं कि इस दिन सच्चे मन से की गई पूजा का फल जल्दी प्राप्त होता है. वहीं, बजरंगबली भी भक्तों से जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन बजरंगबली की पूजा-अर्चना करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. इतना ही नहीं, इस दिन व्रत रखने का भी विशेष महत्व है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूजा के दौरान की गई छोटी-छोटी गलतियां कई बार हनुमान जी को नाराज कर देती हैं. या फिर भक्तों को पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता. इसी में से एक भूल पूजा के बाद हनुमान जी की आरती न करना है. कई बार लोग पूजा के बाद ऐसे ही समापन कर देते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि देवी-देवताओं की पूजा तभी पूरी मानी जाती है, जब आरती और मंत्र जाप के साथ उसका समापन किया जाए. और तभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती हैं. जानें मंगलवार को हनुमान जी की पूजा के बाद कौन सी आरती करनी चाहिए.
॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥
॥ आरती ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति संपूर्णंम् ॥
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)