Tulsi Puja On Sunday: आपने अक्सर सुना होगा कि रविवार को तुलसी की पत्तियों को नहीं तोड़ना चाहिए, लेकिन इसके पीछे की क्या धार्मिक वजह है, आइए जानते हैं. मान्यता है कि रविवार के दिन श्री विष्णु को बहुत ही प्रिय है, इसके साथ ही माता तुलसी भी भगवान विष्णु को अति प्रिय है. इसलिए रविवार को तुलसी की पत्तियों को नहीं तोड़ना चाहिए. 


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क्यों नहीं तोड़ते तुलसी के पत्ते 


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदूधर्म में तुलसी का पौधा पूज्यनीय है. माता तुलसी को लेकर धार्मिक ग्रंथों में कई कथाओं की जिक्र किया गया है. माना जाता है देवी तुलसी विष्णु भगवान को अति प्रिय है और उनके हृदय में भी विशेष स्थान रखती हैं. देवी तुलसी,  हरि विष्णु के एक रूप भगवान शालीग्राम की पत्नी हैं. कार्तिक मास की बड़ी एकादशी को भगवान शालीग्राम और माता तुलसी एक- दूसरे से विवाह के बंधन में बंधे थे. 


हरि विष्णु द्वारा माता तुलसी को यह वरदान प्राप्त है कि जिस पूजन में उनकी (तुलसी जी) उपस्थिति नहीं होगी, उस पूजन को वो स्वीकार नहीं करेंगे. इसलिए पूजन और शुभ-कार्यों में माता तुलसी का विशेष स्थान प्राप्त है. जब तक प्रसाद में माता तुलसी न हो, तब तक भगवान भोग ग्रहण नहीं करते हैं. 


ऐसी भी मान्यता है कि रविवार के दिन माता तुलसी विष्णु भगवान की साधना में लीन रहती है और अन्य दिन अपने भक्तों के जनकल्याण के लिए उपस्थित रहती है. माता तुलसी के ध्यान साधना में कोई उड़चन न आएं इसलिए उन्हें रविवार को नहीं तोड़ा जाता है. साथ ही तुलसी के पौधे पर रविवार के दिन जल देने को भी माना किया जाता है. 


इस दिन भी नहीं तोड़ते तुलसी के पत्ते 


रविवार के अतिरिक्त एकादशी के दिन भी तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़ी जाती है. एकादशी भगवान विष्णु का दिन माना गया है और इस दिन माता तुलसी विष्णु भगवान के लिए निर्जला व्रत रखती है, इसलिए एकादशी के दिन तुलसी के पौधे को जल भी नहीं देना चाहिए, इससे उनका व्रत खंडित होता है. इसके साथ ही तुलसी की पत्तियां भी नहीं तोड़नी चाहिए. 


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)