Tulsi Vivah Vidhi: कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन देव उठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि इस दिन चार माह के पश्चात भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं. इस दिन से शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है. इस दिन तुलसी विवाह की भी परंपरा है. तुलसी जी का विवाह भगवान विष्णु के स्वरूप शालीग्राम से किया जाता है.  बता दें कि इस बार तुलसी विवाह 24 नवंबर के किया जाएगा. इतना ही नहीं, मान्यता है कि इस दिन तुलसी मां और शालीग्राम का विवाह विधिपूर्वक करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ ही, मां लक्ष्मी और श्री हरि की अपरा कृपा बरसती है. 


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तुलसी विवाह का महत्व


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तुलसी के पौधे में मा लक्ष्मी का वास होता है. कहते हैं कि कार्तिक माह में तुलसी के पौधे की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर घर में वास करती हैं. साथ ही, व्यक्ति की पैसों से संबंधी समस्याएं दूर होती हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप से तुलसी माता की पूजा की जाती है. इस दिन विधिपूर्वक तुलसी मां का विवाह करने से व्यक्ति के जीवन में आ रहे सभी कष्ट दूर होते हैं.  


शास्त्रों के अनुसार जो भी व्यक्ति तुलसी विवाह का आयोजन करता है, उसे अत्यधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है. मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी दुख दूर कर उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. जानें तुलसी विवाह की सही विधि के बारे में.  
 
तुलसी विवाह पूजन विधि 


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे और शालीग्रहाम का विवाह बहुत ही धूमधाम के साथ किया जाता है. इस दिन तुलसी के माध्याम से भगवान का आह्वान किया जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि जिन लोगों के परिवार में कन्या नहीं होती, उन्हें जीवन में एक बार तुलसी विवाह जरूर करना चाहिए. इससे व्यक्ति को कन्यादान का पुण्य प्राप्त होता है. कहते हैं कि तुलसी विवाह करने से दांपत्य जीवन खुशियों से भर जाता है.  


अगर आज आप भी तुलसी विवाह कर रहे हैं, तो पहले तुलसी का पौधा एक पटरे पर आंगन, छत या पूजा घर में बिल्कुल बीच में रखें. इसके बाद तुलसी के गमले के ऊपर गन्ने का मंडप सजाएं. इसके बाद तुलसी के पौधे में सुहाग की सामग्री अर्पित करें. लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं. इसके बाद गमले में शालीग्राम रख दें. तिल अर्पित करें. तुलसी और शालिग्राम जी पर दूध में भीगी हुई हल्दी लगाएं. इसके साथ ही , गन्ने के मंडप पर भी इस हल्दी से लेप कर सकते हैं. विधिपूर्वक पूजा करें. इसके साथ ही विवाह के समय बोले जाने वाला मंगलाष्टक पढ़ें.  


बता दें कि तुलसी मां की आरती कपूर से करें. प्रसाद का भोग लगाएं और 11 बार तुलसी के पौधे की परिक्रमा करें. मुख्य आहार के साथ इस प्रसाद को ग्रहण करें. इसके बाद पूजा के समाप्त होने पर घर के सभी सदस्य पटरे को चारों तरफ से पकड़ कर उठा लें और भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें. 
 
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)