Utpanna Ekadashi 2022: एकादशी व्रत शुरू करने के लिए सबसे उत्तम है ये दिन, इस दिन बन रहे हैं ये 5 शुभ योग
Utapanna Ekadashi Vrat 2022: हर माह दोनों पक्षों की एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का व्रत रखा जाता है. हर एकादशी का अपना अलग महत्व होता है. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है.
Utapanna Ekadashi 2022 Shubh Yoga: हिंदू धर्म में सभी व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे कठिन माना जाता है. एकादशी के व्रत का हिंदू धर्म में खास महत्व है. बता दें कि एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन विधि-विधान से व्रत रखने और पूजा आदि करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. साथ ही, मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है.
उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत उपासना से भक्तों के पिछले जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन एकादशी माता प्रकट हुई थीं.इसलिए इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. बता दें उत्पन्ना एकादशी का व्रत 19 नवंबर के दिन रखा जाएगा. उत्पन्ना एकादशी इस बार बेहद खास संयोग में मनाई जाएगी.
उत्पन्ना एकादशी 2022 तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार एकादशी तिथि 19 नवंबर सुबह 10 बजकर 29 मिनट से शुरू होगी और 20 नवंबर सुबह 10 बजकर 41 बजे इसका समापन होगा. उदयातिथि के अनुसार एकादशी का व्रत 20 नवंबर रविवार के दिन रखा जाएगा.
उत्पन्ना एकादशी पर बन रहे हैं ये पांच शुभ योग
इस बार उत्पन्ना एकादशी का व्रत 5 शुभ योगों में रखा जाएगा. इसमें प्रीति योग, आयुष्मान योग, द्विपुष्कर योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग शामिल हैं. आइए जानें इन योगों का सही समय.
प्रीति योग- 20 नवंबर, प्रात:काल से रात 11 बजकर 04 मिनट तक रहेगा.
आयुष्मान योग- 20 नवंबर, रात 11 बजकर 04 मिनट शुरू होकर 21 नवंबर रात 09 बजकर 07 मिनट तक रहेगा.
सर्वार्थ सिद्धि योग- 20 नंवबर, सुबह 06 बजकर 47 मिनट से शुरू होगा और देर रात 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा.
अमृत सिद्धि योग- 20 नंवबर, सुबह 06 बजकर 47 मिनट से देर रात 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा.
द्विपुष्कर योग का आरंभ 20 नवंबर देर रात 12 बजकर 36 मिनट से लेकर 21 नवंबर सुबह 06 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.
हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी के जिन बनने वाले ये सभी योग पूजा पाठ और मांगलिक कार्यों की दृष्टि से बेहद शुभ है. कहा जाता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए सभी कार्य सफल होते हैं. वहीं, ऐसा भी कहा जाता है कि इस मुहूर्त में जिस भी मनोकामना से कार्य किए जाते हैं, वे जल्द ही पूर्ण और सफल होते हैं.
इस एकादशी से शुरू होते हैं साल के व्रत
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उत्पन्ना एकादशी के दिन से ही साल के एकादशी के व्रत रखने की शुरुआत की जा सकती है. शास्त्रों के अनुसार उत्पन्ना एकादशी के दिन एकादशी माता प्रकट हुई थी. इसलिए इस दिन से एकादशी के व्रत रखे जाते हैं. सभी व्रतों में इस एकादशी के व्रत को सबसे श्रेष्ठ होने का वरदान भगवान विष्णु से मिला हुआ है. ऐसे में जो लोग पूरे साल एकादशी के व्रत रखना चाहते हैं, वे इस एकादशी से व्रतों की शुरुआत कर सकते हैं. वैसे साल के बीच में शुक्ल पक्ष की एकादशी से व्रत शुरू किए जाते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)