Vat Savitri Vrat Significance: वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो पत्नी और पति के संबंधों को समर्थ बनाता है. यह व्रत हमें इस बात का आभास कराता है कि धर्म मनुष्य के जीवन में नीतिगत सुधार करता है. जबकि, इस व्रत में भारतीय महिलाएं अपने पति की दीर्घ आयु होने की कामना करती हैं. इस व्रत का माहत्य संबंधों को मजबूत बनाए रखने के प्रति जागरुक करता है और पत्नियों द्वारा पतिव्रता, अभिवादन और समर्पण का प्रतीक है. ऐसे में यह व्रत परिवार और समाज के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।


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वट सावित्री व्रत का इतिहास कई हजारों साल पुराना है. हिंदू धर्म के अनुसार, सती सावित्री ने अपने विवाहित जीवन के लिए लगभग प्राण त्याग दिए थे. उन्हें उनके पति सत्यवान को पुनर्जीवित करने के बाद वट के वृक्ष के चारों ओर धागा बांधने का उपदेश दिया गया था. इस दिन से यह व्रत मनाया जाता है.


इस दिन महिलाएं वट के वृक्ष की पूजा करती हैं और पति की दीर्घायु की कामना करती हैं. इस व्रत का समाज में काफी महत्त्व है, जो इस बात का अहसास कराता है कि संसार में कोई भी व्यक्ति कर्मों के आधार पर ही सफल हो सकता है. इस व्रत के जरिए महिलाएं अनुशासन, संयम, विश्वास और धार्मिकता के लिए एक संदेश देती हैं.


वट सावित्री व्रत सामाजिक एकता और धर्म निर्माण का महान प्रयास है, जो प्रसन्नता और मग्नता प्रदान करता है. इस उत्सव के दौरान, हमें अपने नियंत्रण में रहकर दृढ़ता और संयम का संबंध मजबूत रखना चाहिए.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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