Vijaya Ekadashi 2024: एकादशी तो प्रत्येक माह में दो बार पड़ती है. कृष्ण पक्ष की एकादशी को कृष्णैकादशी कहा जाता है. इस तरह यह प्रत्येक माह में एक बार होने वाला व्रत है, हर एकादशी के अलग-अलग नाम हैं फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को होने वाला व्रत विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस साल विजया एकादशी का व्रत 6 मार्च को रखा जाएगा.


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विजया एकादशी का महत्व
विजया एकादशी के प्रभाव से व्रती की हर क्षेत्र में विजय ही होती है. वक दाल्भ्य मुनि की आज्ञा से लंका विजय की कामना लेकर प्रभु श्री राम ने समुद्र तट पर इस व्रत को किया और युद्ध में रावण पर विजय प्राप्त की. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. पूजा के प्रभाव से व्यक्ति सभी कार्यों पर विजय प्राप्त करने के साथ ही दुख दारिद्रय से भी मुक्ति पाता है. 


 


पूजा विधि


- एक मिट्टी के साफ कलश को पहले से ही लेकर रख लें. एकादशी के दिन प्रातः सूर्योदय से पहले जागकर स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर पूजन करने के स्थान को ठीक से साफ कर लें. 


इसके बाद वहां पर एक लकड़ी के पटे को रखें और उसके ऊपर सफेद या पीला वस्त्र बिछा दें. 


अब उसी के ऊपर पहले से लाए हुए मिट्टी के पात्र में शुद्ध जल भर रख उसी शुद्ध पटे पर स्थापित करें. 


अब कलश के पास पीपल, आम, बड़ और गूलर के पत्ते रखें और एक मिट्टी के प्याले में जौ भरकर उसे कलश के ऊपर स्थापित करें. 


जौ के पात्र पर श्री लक्ष्मी नारायण की स्थापना करने के बाद फूल माला रोली चंदन अक्षत आदि का अर्पण कर उनका विधि विधान से पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ पूजन करें. 


रात्रि जागरण कर भगवान की भजन कीर्तन करें और सुबह जल का विसर्जन कर दें. 


ब्राह्मणों भोजन कराने के बाद दान दक्षिणा आदि देकर विदा करें और स्वयं भी भोजन करें. 


 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)