Vijaya Ekadashi Vrat Katha: धन-दौलत, करियर में सफलता पाने की चाहत सभी के मन में होती है. कई बार किस्‍मत का साथ ना मिलने से ये सपने पूरे नहीं हो पाते हैं. ऐसे में भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए पूजा-उपाय करना लाभ दे सकता है. हिंदू धर्म में विजया एकादशी को बहुत अहम माना गया है. यह व्रत करने से भगवान विष्‍णु मेहरबान होते हैं, किस्‍मत का साथ मिलता है. हर काम में सफलता मिलती है. साथ ही शत्रुओं पर विजय पाने के लिए भी विजया एकादशी का व्रत रखने का बड़ा महत्‍व है. 


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विजया एकादशी व्रत 


फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 6 मार्च की सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर होगी और 7 मार्च की सुबह 4 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार इस बार 6 मार्च 2024 को विजया एकादशी का व्रत रखा जाएगा. इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्‍णु की पूजा करने से अपार सुख, सौभाग्‍य, सफलता मिलती है.  


विजया एकादशी पूजा विधि 


विजया एकादशी की सुबह जल्‍दी स्‍नान करके पीले रंग के कपड़े पहनें. भगवान विष्‍णु का स्‍मरण करते हुए विजया एकादशी व्रत का संकल्‍प करें. फिर चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें. फिर विष्‍णु जी को पीले रंग के फूल, केले, बेसन की मिठाई आदि चीजें अर्पित करें. 


भगवान श्रीहरि को तुलसी दल जरूर अर्पित करें. लेकिन ध्‍यान रहे कि एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में ना तो जल चढ़ाया जाता है और ना ही उसे स्‍पर्श किया जाता है, लिहाजा एक दिन पहले ही तुलसी के पत्‍ते तोड़कर रख लें. विष्‍णु जी को तुलसी बेहद प्रिय है, ऐसा करने से मां लक्ष्‍मी और भगवान विष्‍णु दोनों की कृपा होती है. इसके बाद धूप-दीप करें. विष्णु चालीसा का पाठ करें. विजया एकादशी व्रत कथा जरूर पढ़ें. इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. इसके बाद आरती करें. सभी को प्रसाद बांटें. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)