Vianayak Chaturthi 2023: विनायक चतुर्थी पर अद्भुत योग, पूजा के दौरान ये कार्य करने से हर विघ्न का होगा नाश
Ganesh Avtar Stotram: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गणेश जी के मात्र दर्शन करने से ही जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. भगवान गणेश को कई नामों से जाना जाता है. उनकी साधना करने से व्यक्ति के जीवन में आ रहे दुखों और संकटों से निजात मिलती है. बप्पा की कृपा पाने के लिए आज गणेश स्त्रोत का पाठ अवश्य करें.
Vinayaka Chaturthi Upay: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश जी को समर्पित विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा उपासना करने से व्यक्ति के जीवन में संकटों का नाश होता है और कष्टों से छुटकारा मिलता है. शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि भगवान गणेश के सिर्फ दर्शन मात्र से ही जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. श्री गणेश का नाम जपने मात्र से ही व्यक्ति के जीवन में आ रहे सभी दुख और संताप दूर हो जाते हैं. अगर आप भी जीवन में कई तरह की परेशानियों से घिरे हुए हैं, और निजात पाना चाहते हैं, तो पूजा के समय गणेश अवतार स्त्रोत का पाठ जरूर करें. इस स्त्रोत का पाठ करने से भगवान शिव परिवार का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
गणेश अवतार स्तोत्र
अनन्ता अवताराश्च गणेशस्य महात्मनः ।
न शक्यते कथां वक्तुं मया वर्षशतैरपि ॥
संक्षेपेण प्रवक्ष्यामि मुख्यानां मुख्यतां गतान् ।
अवतारांश्च तस्याष्टौ विख्यातान् ब्रह्मधारकान् ॥
वक्रतुण्डावतारश्च देहिनां ब्रह्मधारकः ।
मत्सरासुरहन्ता स सिंहवाहनगः स्मृतः ॥
एकदन्तावतारो वै देहिनां ब्रह्मधारकः ।
मदासुरस्य हन्ता स आखुवाहनगः स्मृतः ॥
महोदर इति ख्यातो ज्ञानब्रह्मप्रकाशकः ।
मोहासुरस्य शत्रुर्वै आखुवाहनगः स्मृतः ॥
गजाननः स विज्ञेयः सांख्येभ्यः सिद्धिदायकः ।
लोभासुरप्रहर्ता च मूषकगः प्रकीर्तितः ॥
लम्बोदरावतारो वै क्रोधसुरनिबर्हणः ।
आखुगः शक्तिब्रह्मा सन् तस्य धारक उच्यते ॥
विकटो नाम विख्यातः कामासुरप्रदाहकः ।
मयूरवाहनश्चायं सौरमात्मधरः स्मृतः ॥
विघ्नराजावतारश्च शेषवाहन उच्यते ।
ममासुरप्रहन्ता स विष्णुब्रह्मेति वाचकः ॥
धूम्रवर्णावतारश्चाभिमानासुरनाशकः ।
आखुवाहनतां प्राप्तः शिवात्मकः स उच्यते ॥
एतेऽष्टौ ते मया प्रोक्ता गणेशांशा विनायकाः ।
एषां भजनमात्रेण स्वस्वब्रह्मप्रधारकाः ॥
स्वानन्दवासकारी स गणेशानः प्रकथ्यते ।
स्वानन्दे योगिभिर्दृष्टो ब्रह्मणि नात्र संशयः ॥
तस्यावताररूपाश्चाष्टौ विघ्नहरणाः स्मृताः ।
स्वानन्दभजनेनैव लीलास्तत्र भवन्ति हि ॥
माया तत्र स्वयं लीना भविष्यति सुपुत्रक ।
संयोगे मौनभावश्च समाधिः प्राप्यते जनैः ॥
अयोगे गणराजस्य भजने नैव सिद्ध्यति ।
मायाभेदमयं ब्रह्म निवृत्तिः प्राप्यते परा ॥
योगात्मकगणेशानो ब्रह्मणस्पतिवाचकः ।
तत्र शान्तिः समाख्याता योगरूपा जनैः कृता ॥
नानाशान्तिप्रभेदश्च स्थाने स्थाने प्रकथ्यते ।
शान्तीनां शान्तिरूपा सा योगशान्तिः प्रकीर्तिता ॥
योगस्य योगता दृष्टा सर्वब्रह्म सुपुत्रक ।
न योगात्परमं ब्रह्म ब्रह्मभूतेन लभ्यते ॥
एतदेव परं गुह्यं कथितं वत्स तेऽलिखम् ।
भज त्वं सर्वभावेन गणेशं ब्रह्मनायकम् ॥
पुत्रपौत्रादिप्रदं स्तोत्रमिदं शोकविनाशनम् ।
धनधान्यसमृद्ध्यादिप्रदं भावि न संशयः ॥
धर्मार्थकाममोक्षाणां साधनं ब्रह्मदायकम् ।
भक्तिदृढकरं चैव भविष्यति न संशयः ॥
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)