Vinayak Chaturthi 2024: कल या परसो कब है ज्येष्ठ माह की विनायक चतुर्थी? जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Vinayak Chaturthi 2024 Date: हिन्दू धर्म में हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है. ये दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है. सफलता प्राप्त करने के लिए कोई भी मांगलिक कार्य करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है
Jyestha Vinayak Chaturthi 2024: हिन्दू धर्म में हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है. ये दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है. आपको बता दें कि कोई भी मांगलिक कार्य करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. गणेश जी की पूजा करने से कार्यों में बाधा नहीं आती और सफलता हासिल होती है. हिन्दू पंचांह के अनुसार फिलहाल ज्येष्ठ महीना चल रहा है. आइए जानते हैं इस महीने विनायक चतुर्थी कब मनाई जाएगी, क्या है शुभ मुहूर्त और महत्व.
कब है विनायक चतुर्थी?
वैदिक पंचांग के अनुसार 9 जून यानी आज दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत होगी. वहीं, इसका समापन कल यानी 10 जून को शाम 4 बजकर 13 मिनट पर होगा. उदया तिथि के चलते 10 जून को विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी.
क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?
गणेश जी की पूजा का शुभ मुहूर्त 10 जून को सुबह 10 बजकर 26 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 6 मिनट तक रहेगा. इस दौरान आप विघ्नहर्जा की पूजा कर सकते हैं.
जान लें पूजा विधि
- विनायक चतुर्थी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें.
- इसके बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें.
- घर को गंगाजल से शुद्ध करें और मंदिर की साफ-सफाई कर लें.
- एक चौकी स्थापित करें और उसपर लाल या पीला कपड़ा बिछा लें.
- फिर विधि विधान से गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें.
- गणेश जी को सिंदूर, कुमकुम, रोली, अक्षत, पान अर्पित करें.
- घी का दीपक और धूप जलाकर अब गणेश चालीसा, आरती करें.
- इसके बाद गणेश जी को बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं.
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करें इस मंत्र का जाप
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
अमेयाय च हेरंब परशुधारकाय ते।
मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः।।
एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
एकदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश ।।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)