Vishwakarma Jayanti Date: विश्व में संरचनात्मक कार्यों के देवता, देवलोक के शिल्पकार और वास्तु शास्त्र के प्रणेता भगवान विश्वकर्मा जी की जयंती 17 सितंबर दिन रविवार को मनाई जाएगी. भगवान विश्वकर्मा ने ही भगवान भोले शंकर के लिए लंका का निर्माण किया था, जिसे उन्होंने अपने भक्त रावण को सौंप दिया था. माता सीता की खोज के लिए लंका पहुंचे हनुमान जी ने उसे आग से जलाकर, वहां का वास्तु ही बिगाड़ दिया. इसी के परिणाम स्वरूप रावण को राक्षसों सहित मारने में प्रभु श्री राम सफल हुए. 


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इसी तरह महाभारत काल में भी जब पांडवों ने इंद्रप्रस्थ को अपनी नई राजधानी बनाया, तब भगवान श्री कृष्ण ने विश्वकर्मा जी से इसका निर्माण करने को कहा, किंतु श्रीकृष्ण के कुछ सुझाव विश्वकर्मा जी को वास्तु सम्मत नहीं लगे तो उन्होंने इसका निर्माण करने से ही मना कर दिया. दरअसल, विश्वकर्मा जी का शिल्प जितना महान था, वह स्वयं भी उतने ही सिद्धांतवादी थे.


आर्किटेक्ट के ज्ञाता


यह उनकी सकारात्मकता ही है कि वह किसी चीज के वास्तु सम्मत न होने पर नारायण को भी इनकार करने से नहीं डरते थे. विश्वकर्मा जी ने भूलोक में आकर राजमहलों से लेकर आम घरों तक का डिजाइन तैयार किया. विश्वकर्मा को ही सर्वप्रथम सृष्टि निर्माण में वास्तुकर्म करने वाला कहा जाता है. इंद्रलोक, स्वर्ग लोक सहित भूलोक और पाताल लोक के महलों से लेकर प्राचीनतम मंदिरों, देवालयों, नगरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों के आवासों का निर्माता विश्वकर्मा जी को ही कहा जाता है. 


आज प्रत्येक शिल्पी, मिस़्त्री, राज, बढई, कारीगर तथा अभियंता आदि जितने भी टेक्निकल लोग और जितनी टेक्निकल वस्तुएं हैं, सब विश्वकर्मा जी के अधीन हैं, यानी टेक्निकल एवं आर्किटेक्ट के सर्वज्ञाता हैं विश्वकर्मा जी. भगवान विश्वकर्मा के अनेक रूप बताए जाते हैं. कहीं दो बाहें तो कहीं चार और कहीं कहीं पर दस बाहु, कुछ मूर्तियों में एक मुख, चार मुख या पंचमुख भी होते हैं.  


कलपुर्जों की पूजा   


विश्वकर्मा जयंती के दिन उनकी उपासना के साथ ही औजारों की पूजा होती है. कारखाने, फैक्ट्री, निर्माणाधीन बिल्डिंग ही नहीं घरों में भी यांत्रिकीय वस्तुओं का पूजन करना चाहिए, ताकि उनका जब इस्तेमाल किया जाए तो सफलता मिले. जो लोग लैपटॉप पर कार्य करते हैं, उन्हें अपने लैपटॉप की पूजा करने के बाद ही उस दिन का कार्य शुरू करना चाहिए.