Rinharta Ganesh Stotra Path: हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है. बुधवार का दिन गणेश जी की पूजा का दिन है. इस दिन गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप् होती है. इतना ही नहीं, हर कार्य में सफलता पाता है. कहते हैं कि गणेश जी जिन साधकों पर मेहरबान होते हैं, उनके सभी विघ्न हर लेते हैं. आर्थिक संकट में फंसे लोगों को बाहर निकलाने के लिए भी गणेश जी की उपासना का विशेष महत्व बताया गया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

शास्त्रों में गणेश जी को प्रथम पूजनीय माना गया है. कहते हैं कि अगर किसी भी कार्य की शुरुआत गणेश पूजन से की जाए, तो वे निर्विघ्न पूरा होता है. शास्त्रों में कर्ज के बोझ से छुटकारा पानेके लिए बुधवार का दिन विशेष बताया गया है. कहते हैं कि बुधवार के दिन गणेश जी के ऋणहर्ता गणेश स्त्रोत का पाठ करने से भक्तों को पुराने से पुराने कर्ज से भी मुक्ति मिल जाती है. आइए जानें ऋणहर्ता गणेश जी के इस स्त्रोत के बारे में.    


ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र पाठ विधि  


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऋणहर्ता गणेश स्त्रोत का पाठ बुधवार के दिन सुबहग स्नान के बाद किया जाता है. इस दिन सुबह सूर्य देव को जल अर्पित करें और जलाभिषेक करें. इसके बाद उन्हें लाल रंग के फूल, चंदन, कुमकुम, फल, फूल माला, वस्त्र, दूर्वा आदि अर्पित करें. गणेश जी का पूजन करें और ऋणहर्ता गणेश जी का पाठ करें.


ऋणहर्ता गणेश स्रोत


ध्यान
ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम्।
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम्।।


पाठ


सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।1।।


त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।2।।


हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।3।।


महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।4।।


तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।5।।


भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।6।।


शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।7।।


पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।8।।


इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,
एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित:।
दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत्।।


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऋणहर्ता गणेश स्रोत का पाठ करने के बाद गणेश जी की आरती अवश्य करें. आरती के लिए घी के दीपक का उपयोग करें. इसके बाद ही आपका पाठ पूर्ण माना जाएगा और आपकी मनोकामना पूर्ण होगी.   


अपनी फ्री कुंडली पाने के लिए यहां क्लिक करें
 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)