श्री कृष्ण के धरती छोड़ने के बाद द्वारका का हुआ था कुछ ऐसा हाल? आज भी लोगों के रोंगटे हो जाते हैं खडे़
द्वारका, जिसे `कृष्ण की नगरी` के नाम से भी जाना जाता है. महाभारत युद्ध के बाद, श्री कृष्ण ने अपने जीवन के अंतिम क्षण गुजरात के प्रभास क्षेत्र (वर्तमान में सौराष्ट्र) में बिताए. श्री कृष्ण के प्रस्थान के बाद द्वारका का समुद्र में डूब जाना सिर्फ एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि एक अध्यात्म की दृष्टिकोण से कलियुग की शुरुआत थी.
श्री कृष्ण, जिन्हें हिंदू धर्म में भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है, ने अपनी लीलाओं से दुनिया को सत्य, धर्म और न्याय का मार्ग दिखाया. लेकिन उनके पृथ्वी से प्रस्थान के बाद द्वारका, जो उनकी राजधानी थी, के साथ क्या हुआ, यह एक ऐसा प्रश्न है जो सदियों से लोगों के मन में गूंजता रहा है. द्वारका के अस्तित्व और उसके विनाश की कहानी रहस्यों से भरी हुई है और आज भी इतिहास और पुरातत्वविदों के लिए एक गहन शोध का विषय है.
द्वारका: श्री कृष्ण की नगरी
द्वारका, जिसे 'कृष्ण की नगरी' के नाम से भी जाना जाता है, गुजरात के समुद्र तट पर स्थित थी. यह शहर महाभारत काल में श्री कृष्ण की राजधानी थी और इसे उस समय का एक अत्यंत समृद्ध और सुंदर नगर माना जाता था. श्री कृष्ण ने मथुरा छोड़ने के बाद इस शहर का निर्माण कराया था और यह उनके यदुवंशी वंश की राजधानी बना.
श्री कृष्ण का प्रस्थान और द्वारका का विनाश
महाभारत युद्ध के बाद, श्री कृष्ण ने अपने जीवन के अंतिम क्षण गुजरात के प्रभास क्षेत्र (वर्तमान में सौराष्ट्र) में बिताए. श्री कृष्ण का निधन मूसल परंपरा के अनुसार हुआ, जिसके बाद उनका शरीर धरती से अंतर्ध्यान हो गया. उनके इस प्रस्थान के बाद ही द्वारका के विनाश की भविष्यवाणी पूरी हुई. कहा जाता है कि श्री कृष्ण के प्रस्थान के बाद द्वारका धीरे-धीरे समुद्र में समाने लगी. महाभारत में भी इस विनाश का वर्णन है कि श्री कृष्ण के अंत के बाद द्वारका एक के बाद एक कर समुद्र में डूब गई. यह घटना भगवान के अवतार के धरती पर समाप्त होने का प्रतीक मानी जाती है.
द्वारका का पुरातात्विक अध्ययन
वर्तमान में, द्वारका के अवशेषों की खोज और अध्ययन का कार्य जारी है। 1980 के दशक में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा समुद्र के भीतर खोज की गई, जिसमें द्वारका के अवशेष पाए गए. इन अवशेषों में पत्थर के स्तंभ, दीवारें, और जलमग्न संरचनाएं शामिल हैं, जो यह संकेत देती हैं कि कभी यहाँ एक समृद्ध और विशाल नगरी रही होगी.
श्री कृष्ण के प्रस्थान के बाद द्वारका का समुद्र में डूब जाना सिर्फ एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि एक अध्यात्म की दृष्टिकोण से कलियुग की शुरुआत थी. श्री कृष्ण के धरती से जाने के बाद कलियुग और उसके दुष्परिणाम दिखने लगे थे.