Jyeshtha Purnima 2024: कब है ज्येष्ठ पूर्णिमा, 21 या 22 जून? नोट कर लें तारीख और स्नान-दान मुहूर्त
Jyeshtha Purnima 2024 Date: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व दिया गया है. पूर्णिमा के दिन चंद्र देव, मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. जानिए ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा कब है.
Jyeshtha Purnima 2024 Kab Hai: ज्योतिष शास्त्र में कुल 16 तिथियां बताई गई हैं. जिसमें पूर्णिमा भी एक है. हर महीने में एक पूर्णिमा पड़ती है. इस तरह साल में 12 पूर्णिमा तिथि आती हैं. पूर्णिमा तिथि के देवता चंद्र देव हैं. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है. इसके अलावा पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है, गरीबों का दान दिया जाता है. पूर्णिमा तिथि लक्ष्मी जी और भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए भी विशेष दिन है. इस समय ज्येष्ठ मास चल रहा है और जल्द ही ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा आने वाली है. ज्येष्ठ पूर्णिमा खास है क्योंकि यह एक नहीं बल्कि दो दिन रहने वाली है. इस कारण लोगों में उलझन है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत कब रखें और पूर्णिमा का स्नान-दान कब करें. आइए जानते हैं ज्येष्ठ पूर्णिमा कब है.
ज्येष्ठ मास 2024 की पूर्णिमा कब है?
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि 21 जून, शुक्रवार की सुबह 07 बजकर 32 मिनिट से शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 22 जून, शनिवार की सुबह 06 बजकर 37 मिनिट तक रहेगी. इस तरह 2 दिन पूर्णिमा तिथि रहेगी. दोनों ही दिनों में पूर्णिमा तिथि रहने से इसमें असमंजस है कि कब पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा और स्नान-दान किया जाएगा.
चूंकि पूर्णिमा का व्रत चंद्रोदय की स्थिति को देखकर रखा जाता है. लिहाजा 21 जून को पूर्णिमा का चांद निकलेगा इसलिए पूर्णिमा का व्रत 21 जून को रखा जाएगा. वहीं पूर्णिमा का स्नान-दान सूर्योदय के अनुसार किया जाता है. इस लिहाज से 22 जून की सुबह स्नान और दान किया जाएगा. इस दिन स्नान-दान करने से खूब पुण्य मिलेगा.
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर करें तुलसी का उपाय
यदि भाग्य साथ नहीं दे रहा है, आर्थिक तंगी है या कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही है तो ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन तुलसी का उपाय कर लें. इसके लिए ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन जल्दी उठकर घर की सफाई करें. फिर स्नान करके मंदिर की सफाई करें. माता तुलसी के साथ भगवान शालिग्राम की स्थापना करें. उन्हें गंगाजल, पंचामृत और जल अर्पित करें. सिंदूर, गोपी चंदन और हल्दी का तिलक लगाएं. तुलसी के पौधे और भगवान शालिग्राम का शृंगार करें. उनकी पूजा करें. घी का दीपक जलाएं. फल, मिठाई आदि का सात्विक भोग लगाएं और वैदिक मंत्रों का जाप करें. आखिर में आरती करें और प्रसाद बांटें. बेहतर होगा कि पूर्णिमा का व्रत रखें और अगले दिन पारण करें.
(Dislaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)