Suryadev Pauranik Katha: हिन्दू धर्म में रविवार को सूर्यदेव की पूजा करने का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार  सूर्यदेव की पूजा करने से व्यक्ति को बल और बुद्धि की प्राप्ति तो होती है और साथ में जीवन सकारात्मकता आती है. शास्त्रों की मानें तो सूर्य देव के रथ में 7 घोड़े जुड़े होते हैं, जिससे वे निरंतर चलते रहते हैं. क्या आप जानते हैं एक बार सूर्यदेव को अपने रथ से घोड़ों की जगह 2 गधों को जोड़ना पड़ा था. आइए जानते हैं इसके पीछे की कथा. 


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दो बार आता है खरमास
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो खरमास शुरू हो जाता है. एक साल में 2 बार खरमास होता है. खरमास के दौरान हर तरह के मांगलिक कार्यों की मनाही होती है. खरमास की कथा भी गधों से जुड़ी हुई है. संस्कृत में खर का अर्थ गधा होता है. आइए जानते हैं कथा के बारे में.



जब सूर्यदेव ने रथ में गधों को जोड़ा
मार्कंडेय पुराण के अनुसार सूर्यदेव अपने 7 घोड़ों के रथ पर सवार हो कर निरंतर चलते रहते थे. लेकिन एक बार हेमंत ऋतु के दौरान रथ के घोड़े थक गए और तालाब में पानी पीने चले गए. वहीं, सूर्यदेव को कभी रुकते नहीं तभी उन्हें 2 गधे दिखाई दिए. उन गधों को सूर्यदेव ने अपने रथ में जोड़ लिया और यात्रा पर निकल गए. हालांकि घोड़ों की तुलना में गधे बहुत धीरे चल रहे थे. 



1 महीने बाद वापस लौटे सूर्यदेव 
1 महीने बाद सूर्यदेव गधों वाले रथ को लेकर उसी तलाब तक पहुंचे. तब घोड़ों की थकान खत्म हो चुकी थी और वापस यात्रा के लिए तैयार हो गए थे. इसके बाद सूर्यदेव ने अपने रथ से गधों को निकाला और घोड़ों को वापस जोड़ लिया. इसके बाद 7 घोड़ों के साथ वापिस अपनी यात्रा शुरू कर दी. 


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ऐसे करें सूर्यदेव को प्रसन्न
जिस व्यक्ति पर सूर्यदेव की कृपा होती है उसमें कभी आत्मविश्वास की कमी नहीं होती और हमेशा सकारात्मकता देखने को मिलती है. सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए आप रोज सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दे सकते हैं.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)