Sadhus and Ascetics: हिंदू धर्म में साधु सन्यासियों को बहुत सम्मान की नजर से देखा जाता है. शास्त्रों के जानकार बताते हैं कि जिनको साधु-सन्यासियों का आशीर्वाद मिलता है. उनका घर सुख-समृद्धि से भर जाता है और जिन पर इनका कोप बरसता है, वह देखते ही देखते कंगाल हो जाते हैं. कुंभ के मेले में सबसे ज्यादा साधुओं की तादाद देखने को मिलती है. इस दौरान आप देखेंगे कि कोई साधु भगवा कपड़े में, कोई काले रंग के कपड़े में और कोई सफेद रंग के कपड़े में होता है. क्या आपने कभी यह सोचा है की अलग-अलग साधु, अलग-अलग रंग के कपड़े क्यों पहनते हैं?


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

क्यों अलग-अलग रंग कपड़े पहनते हैं साधु?


1. साधु का शाब्दिक अर्थ होता है सज्जन पुरुष यानी भला आदमी. आपको बता दें कि शैव और शाक्य साधु हमेशा भगवा रंग के कपड़े में नजर आते हैं. भगवा रंग को ऊर्जा और त्याग का प्रतीक माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि भगवा रंग का कपड़ा धारण करने से मन शांत रहता है.


2. हिंदू धर्म से बौद्ध और जैन धर्म की उत्पत्ति हुई है. जैन धर्म में भी साधु-सन्यासी होते हैं और जैन धर्म के साधु-सन्यासी सफेद रंग के कपड़े धारण करते हैं. जैन मुनियों की बात करें तो इनमें दो तरह के साधु होते हैं पहले दिगंबर और दूसरे श्वेतांबर. दिगंबर साधु अपना पूरा जीवन बिना कपड़ों के व्यतीत करते हैं जबकि श्वेतांबर साधु सफेद कपड़े धारण करते हैं इसके अलावा उनके मुंह पर भी सफेद कपड़ा लगा रहता है.


3. सफेद और भगवा कपड़े के अलावा कुछ ऐसे भी साधु नजर आते हैं जो काले कपड़े धारण करते हैं. ऐसे साधु स्वयं को तांत्रिक की संज्ञा देते हैं. ऐसा कहा जाता है कि यह तंत्र-मंत्र में माहिर होते हैं. कई बार ये ऐसा दावा करते हैं कि ये अपने तंत्र-मंत्र की विद्या से कई बीमारियों का इलाज भी कर देते हैं. काले कपड़े के अलावा ये रुद्राक्ष की माला भी धारण करते हैं.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


अपनी निःशुल्क कुंडली पाने के लिए यहाँ तुरंत क्लिक करें